अर्जेंटीना से लेना चाहिए सबक आनंद शर्मा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कॉन्टिजेंसी फंड की सीमा में बदलाव करने का फैसला लिया है। इसे कम करके 5.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जो डेंजर मार्क से नीचे है। यह ऐसा करना आपातकाल के लिए था। जब 2008 में मंदी आई थी तो हमारे पास इस तरह का पर्याप्त फंड होने के कारण ही देश को संभाला जा सका था। आनंद शर्मा ने कहा कि कई कमेटियों ने कॉन्टिजेंसी फंड 8 से 12 प्रतिशत रखने को कहा था, लेकिन रिजर्व बैंक ने इसे घटाकर 6.4 प्रतिशत तक कर दिया था। अब इसे और घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि- ‘रघुराम राजन सहित सहित सभी पूर्व गवर्नरों ने इसी बात का विरोध किया था। डॉ. सुब्बाराव, डॉ. रेड्डी, डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इसे विनाशकारी बताया था। ऐसा तब किया जाता है, जब दुनिया में कोई बहुत बड़ा संकट आए। अर्जेंटीना ने हाल में ऐसा किया था तो वहां की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। इसी के विरोध में उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया।
आनंद शर्मा ने कहा कि- ‘रिजर्व बैंक के पूरे सरप्लस को एक ही बार में सरकार को देने का फैसला किया है। इसमें रिजर्व बैंक की पिछले एक साल की आमदन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि- ‘देश में बेरोजगारी चरम पर है। निर्यात पांच साल पहले के स्तर पर बना हुआ है। सरकार के पास निवेश करने तक को पैसा नहीं, बैंकों के पास कर्ज देने को नहीं। ऐसे में रिजर्व बैंक का यह फैसला खतरनाक है। उन्होंने आरोप लगाया कि रिजर्व बैंक के बोर्ड ने सरकार के दबाव में यह फैसला लिया है।’
बदहाल की अर्थव्यवस्था आनंद शर्मा ने यह भी कहा कि- ‘मोदी सरकार की नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदहाल करके रख दिया है। हमारी जीडीपी लगातार कम हो रही है। पिछली तिमाही में यह महज 5.8 फीसदी रही है। औद्योगिक मैन्युफैक्चरिंग बहाल हो चुकी है। इसमें महज 1.2 फीसदी ग्रोथ रह गई है। रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा हो बन गई है। बेरोजगारी के कारण लोगों की आय नहीं, जिससे वस्तुओं की मांग में कमी आई है। ऑटो सेक्टर की हालत से यह साफ दिख रहा है।
टेक्सटाइल की हालत भी बदहाल आनंद शर्मा ने कहा कि- ‘देश में कृषि सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर है। उसके बाद टेक्सटाइल सेक्टर आता है। इसकी हालत भी खराब है। यानी अर्थव्यवस्था को गति देने वाले सभी इंजन पस्त हैं, इकोनॉमी बढ़ेगी कैसे, कोई नहीं जानता। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था की यह हालत मोदी सरकार की नीतियों के कारण है। सरकार इसके बारे में कुछ बताना नहीं चाहती और न ही इस बारे में कोई श्वेतपत्र लाना चाहती है।
आनंद शर्मा ने कहा कि-‘पिछले बजट में सरकार को जो पैसा खर्च करना था, उसमें 1.5 लाख करोड़ रुपए की कटौती की गई। इसमें 59,000 करोड़ रुपए की गरीबों को मिलने वाली सब्सिडी भी थी। सरकार के बजट अनुमान और इकोनॉमिक सर्वे में बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि इस बार दुनिया में अगर आर्थिक संकट आया, तो रिजर्व बैंक के पास कोई चारा नहीं है कि वह मदद कर पाए।’