scriptये है वायनाड लोकसभा सीट का इतिहास, राहुल गांधी के लिए है पूरी तरह से ‘सुरक्षित’ | This is history Wayanad Loksabha seat completely safe for Rahul Gandhi | Patrika News
राजनीति

ये है वायनाड लोकसभा सीट का इतिहास, राहुल गांधी के लिए है पूरी तरह से ‘सुरक्षित’

नवंबर, 1980 में वायनाड बना अलग जिला
2008 में वायनाड बना था संसदीय सीट
इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का है वर्चस्‍व

नई दिल्लीApr 04, 2019 / 05:23 pm

Dhirendra

rahul gandhi

ये है वायनाड लोकसभा सीट का इतिहास, राहुल गांधी के लिए है पूरी तरह से ‘सुरक्षित’

नई दिल्‍ली। लोकसभा चुनाव को लेकर जारी सरगर्मी के बीच इस बार केरल की ‘वायनाड’ संसदीय सीट सबसे ज्‍यादा सुर्खियों में है। इसकी वजह साफ भी है। कांग्रेस के अध्‍यक्ष राहुल गांधी अमेठी के साथ यहां से भी चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से वायनाड पर सबकी नजर होने का राज भी यही है। इतना ही नहीं, अब तो देश और दुनिया के लोग भी यहां के बारे में ज्‍यादा से ज्‍यादा जानकारी हासिल करना चाहते हैं। आइए आपको बताते हैं वायनाड का इतिहास क्‍या है?
स्‍मृति ईरानी ने अमेठी की जनता को किया आगाह, कहा- ‘राहुल गांधी से रहें सावधान’

एंटनी ने दी थी वायनाड से चुनाव लड़ने की जानकारी

बता दें कि हाल ही में कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी और पार्टी के प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया को बताया था कि पार्टी अध्‍यक्ष राहुल गांधी दो जगह से चुनाव लड़ेंगे। पहला संसदीय क्षेत्र अमेठी है जो राहुल गांधी की कर्मभूमि है। वह यहां से हमेशा चुनाव लड़ते रहेंगे। दूसरा संसदीय क्षेत्र वायनाड है जो केरल में है। यहां से चुनाव लड़ने का निर्णय उन्‍होंने दक्षिण भारतीय राज्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए लिया है।
वायनाड का राजनीतिक इतिहास

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद यह लोकसभा सीट घोषित हुई। यहां पहली बार वर्ष 2009 में चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस के एमआई शनावास जीते थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) प्रत्‍याशी एम रहमतुल्ला को 1 लाख 53 हजार 439 वोटों से हराया था। वर्ष 2014 में यह अंतर घटकर 20 हजार 870 रह गया। 2014 में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई उम्मीदवार पीआर सत्यन मुकरी को 20 हजार 870 वोटों से हराया था।
वायनाड से चुनावी मैदान में राहुल गांधी, क्‍या प्रियंका भाई के लिए दोहरा पाएंगी 1999 वाला जादू?

2014 में 73 फीसदी हुआ था मतदान

वायनाड की 93.15 फीसदी आबादी शहरी है। महज 6.85 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं। पिछले बार के लोकसभा चुनाव में कुल 73 फीसदी यानी 9 लाख 15 हजार 66 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। 2014 में 4 लाख 54 हजार 300 पुरुष और 4 लाख 60 हजार 706 महिला मतदाताओं ने वोटिंग की थी।
स्‍टूडेंट्स यूनियन से आए छात्र राजनीति में

कांग्रेस के नेता शनावास केरल स्टूडेंट्स यूनियन के माध्यम से राजनीति में आए थे। उन्होंने युवा कांग्रेस तथा सेवा दल के लिए भी काम किया था। छह महीने पहले शनवास की मृत्यु के बाद से यह सीट खाली है।
दिल्‍ली में गठबंधन पर सस्‍पेंस बरकरार, कांग्रेस के 2 बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने से किया इनकार

यहां के प्रमुख राजनीतिक दल

यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां हैं कांग्रेस, सीपीआई,भाजपा, एसडीपीआई। निर्दलीय भी यहां से बड़ी संख्या में अपना भाग्य आजमाते रहे हैं।
क्या है वोट बैंक का गणित?

वायनाड में हिंदू आबादी तकरीबन आधी है। यहां हिंदुओं की जनसंख्या 4 लाख 4 हजार 460 है जो कुल आबादी का 49.48 प्रतिशत है। मुस्लिम आबादी 2 लाख 34 हजार 185 है जो कुल जनसंख्या का 28.65 प्रतिशत है। ईसाई समुदाय के लोगों की आबादी 1 लाख 74 हजार 453 है जो 21.34 प्रतिशत है। कुल आबादी में अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 3.99 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) की तादाद 18.53 प्रतिशत है।
वाइल्‍ड लाइफ सेंचुरी के लिए मशहूर है वायनाड

बता दें कि केरल की 20 लोकसभा सीटों में से एक वायनाड भी है। यह जिला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए मशहूर है। यहां हाथी और बाघ जैसे जानवार देखने को मिलते हैं। वायनाड एक अलग जिले के रूप में 1 नवंबर, 1980 को अस्तित्व में आया। इसे कोझिकोड और कन्नूकर से अलग करके जिला बनाया गया था।
यहां का व्यगथरी जैन मंदिर काफी प्रसिद्ध है। वायनाड में टीपू सुल्तान के शासनकाल में अंग्रेजों ने हमला किया था। इस जिले की सीमाएं कर्नाटक और तमिलनाडु से मिलती हैं। संसदीय क्षेत्र के रूप में वायनाड 2008 में अस्तित्‍व में आया। इसमें 3-3 जिले कोझिकोड, वायनाड और मलप्पुसरम के 7 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

Home / Political / ये है वायनाड लोकसभा सीट का इतिहास, राहुल गांधी के लिए है पूरी तरह से ‘सुरक्षित’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो