केसीआर के मुकाबले विपक्षी दलों के पास कोई चेहरा न होना, केसीआर का निचले तबके को केंद्रित करके प्रस्तुत किया गया विकास मॉडल और असदुद्दीन ओवैसी की अगुआई वाली एआईएमआईएम के साथ चुनावी गठजोड़ का समीकरण सटीक साबित हुआ। दूसरी तरफ कांग्रेस ने तेलंगाना में जमीन खो चुकी टीडीपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा न होना भी उसके खिलाफ गया।
राज्यपाल के सामने पेश किया दावा
टीआरएस प्रमुख राव एक बार फिर अपनी सरकार बनाने का दावा राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन को पेश किया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद गुरुवार को राव ने राज्य में दूसरी सीएम बनने की शपथ लेने जा रहे हैं। आपको बता दें कि राव ने जून महीने में ही राज्य विधानसभा भंग करने की राज्यपाल से पेशकश की थी, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया था और राव को कार्यवाहक सरकार के तौर पर पद पर बने रहने को कहा था।
ओवैसी का समीकरण कर गया काम
अल्पसंख्यक मत ओवैसी के साथ होने की वजह से केसीआर के खेमे में गए। यानी ओवैसी का जो समीकरण था वो राव के सटीक दांव का हिस्सा बना। राज्य में करीब 12.5 फीसदी के आसपास मुस्लिम आबादी है। कांग्रेस ने केसीआर और भाजपा के बीच सांठगांठ का आरोपग लगाते हुए अल्पसंख्यक मतों को लुभाने का दांव चला। अन्य राज्यों की तुलना में कांग्रेस ने यहां नरम हिंदुत्व की रणनीति को तिलांजलि देकर मुस्लिम मतों पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन जनता ने इसे स्वीकार नहीं किया।