कांग्रेस परिवार के वफादार माने जाने वाले स्वर्गीय माखनलाल फोतेदार ने 2015 में किताब ‘द चिनार लीव्स’ लिखा- राहुल में नेता बनने का प्रेरणा स्त्रोत मजबूत नहीं है। राहुल को सोनिया बिना किसी तैयारी आगे बढ़ाना चाहती हैं। इससे ही पार्टी के अंदर दिक्कतें खड़ी हुई हैं। वहीं वरिष्ठ नेता नटवर सिंह ने अपनी किताब में लिखा कि राहुल भले महान नेता न हों, लेकिन वह एक अच्छे इंसान जरूर हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार राहुल के समक्ष पहली सबसे बड़ी चुनौती संगठन को मुकाबले लायक बनाने की होगी। फिलहाल कुछ राज्यों को छोड़ दें तो कांग्रेस पूरे देश में सत्ता से बेदखल है और उसका साफ असर लगातार चुनावी पराजयों से दिख भी रहा है। अध्यक्ष बनते ही राहुल गांधी को पार्टी कार्यकर्ताओं को टूटते मनोबल से उत्पन्न हताशा से निकालना होगा ताकि वे विरोधियों के जमीन पर होने वाले हमलों का जवाब दे सकें। पार्टी में राहुल के समर्थक वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि गुजरात चुनाव अभियान में राहुल ने उस क्षमता का प्रदर्शन भी किया है। लेकिन इस बरकरार रखकर 2019 तक लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करनी होगी। तभी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूती से लड़ पाएगी।