उपराष्ट्रपति चुनाव: किसान का पुत्र v/s गांधी का पोता
कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से जहां गोपालकृष्ण गांधी ने नामांकन दाखिल किया तो सत्ता पक्ष की ओर से वेंकैया नायडू ने राष्ट्रपति पद से लिए अपनी दावेदारी पेश की।
नई दिल्ली। देश में राष्ट्रपति चुनाव खत्म होते ही उप राष्ट्रपति पद की रेस भी शुरु हो गई। इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए हो रहा चुनाव कई मायने में खास है। कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से जहां गोपालकृष्ण गांधी ने नामांकन दाखिल किया तो सत्ता पक्ष की ओर से वेंकैया नायडू ने राष्ट्रपति पद से लिए अपनी दावेदारी पेश की। इस तरह ये चुनाव किसान पुत्र और गांधी पौत्र का रुप ले चुका है।
गोपालकृष्ण गांधी, गांधी पौत्र: 22 अप्रैल 1945 को जन्मे गोपालकृष्ण गांधी, महात्मा गांधी के पोते हैं। 2004 से 2009 तक बंगाल के 22वें गर्वनर के रुप में अपनी सेवा दे चुके गांधी एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। प्रशासनिक और कूटनीतिक पदों पर काम करते हुए गोपालकृष्ण ने 1985 से 1987 तक उपराष्ट्रपति के सचिव और 1987 से 1992 तक राष्ट्रपति के संयुक्त सचिव और 1997 में राष्ट्रपति से सचिव के रुप में अपनी सेवा दी।
प्रशासनिक और कूटनीतिक पदों पर दिखाया जलवा
गोपालकृष्ण गांधी ने ब्रिटेन में भारत दूतावास में सांस्कृतिक मंत्री और लंदन के नेहरु सेंटर के निदेशक भी रहे हैं। 1996 में अफ्रीका, लेसोथ, श्रीलंका, नार्वे और आइसलैंड में भारतीय राजदूत के रुप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। गोपालकृष्ण ने श्रीलंका के तमिल वृक्षारोपण कर्मचारियों पर एक उन्यास भी लिख चुके हैं। इसके अलावा विक्रम सेठ की ‘अ सुटेबल ब्वॉय’ का हिंदी अनुवाद भी कर चुके हैं।
वेंकैया नायडू, किसान पुत्र: मतों कि लिहाज से 1 जुलाई 1949 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के कम्मा परिवार में जन्में वेंकैया नायडू देश के अगले उपराष्ट्रपति होंगे। किसान परिवार में जन्में वेंकैया को भारतीय रानीति में बेहतरीन वाकपटुता के लिए जाना जाता है। कॉलेज के दौरान से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े नायडू 1972 में जय आंध्रा आंदोलन से सुर्खियों में आए थे। 29 साल की उम्र में पहली बार विधानसभा पहुंचे। तीन बार कर्नाटक से राज्यसभा पहुंचे चुके नायडू दो बार आंध्र विधानसभा में विधायक भी रह चुके हैं, लेकिन कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा। फिलहाल राज्यसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
वाजपेयी सरकार में रह चुके हैं मंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी के समय पहली बार बनी एनडीए सरकार में नायडू को मंत्री पद मिला था। 2002 से 2004 तक लगातार दो बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके वेकैंया ने 2004 लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद पद छोड़ दिया था। उप राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी के रुप में नामांकन भरने के लिए नायडू ने 17 जुलाई को मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।