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West Bengal Election Results 2021: बंगाल में आडवाणी के रथ ने किया था कमाल, भाजपा ने तोड़ा 30 साल पुराना रिकॉर्ड

West Bengal Election Results 2021 : पश्चिम बंगाल में भाजपा को 38 फीसदी वोट मिले हैं। सभी इसे भाजपा की मनोवैज्ञानिक जीत भी समझ रहे हैं। खास बात तो ये है कि बंगाल में भाजपा ने 1991 के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। आडवाणी की रथ यात्रा के दौरान हुए चुनाव में भाजपा को 11 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे।

May 03, 2021 / 01:22 pm

Saurabh Sharma

West Bengal Election Results 2021 BJP Break 30 year old record

West Bengal Election Results 2021 BJP Break 30 year old record

नई दिल्ली। बंगाल के चुनावी नतीजे ( West Bengal Election Results 2021 ) आने के बाद ममता की हैट्रिक के साथ बीजेपी द्वारा 77 सीटों पर जीत की भी काफी चर्चा हो रही है। हाई प्रोफाइल कैंपेनिंग के बाद 200 सीटों पर जीत का दावा करने वाले भाजपा नेता अब यह कह रहे हैं कि 77 सीटों पर जीत पार्टी के बड़ी उपबल्धि है। 2011 में 5 फीसदी से कम वोट पाने वाली पार्टी को इस बार 38 फीसदी वोट पड़े हैं। साथ ही पिछले चुनाव में 3 सीट जीतने वाली बीजेपी 77 सीटों पर पहुंच गई है। वहीं क्या आपको पता है कि इस बार पहले बीजेपी का प्रदर्शन कब सबसे अच्छा रहा था। इस बात की जानकारी शायद भाजपा के मौजूदा प्रवक्ताओं को भी नहीं होगी। वास्तव में वोट फीसदी के आधार पर भाजपा ने 30 साल बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। आइए आपको भी बताते हैं कि 30 साल पहले बंगाल में किसका जादू चला था?

1991 के बाद सबसे अच्छा भाजपा का प्रदर्शन
भाजपा ने बंगाल में 30 साल के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। उस वक्त लालकृष्ण आडवाणी राजनीतिक करियर के पूरे शबाब पर थे। उन्होंने 1991 में रथ यात्रा भी निकाली थी। जय श्रीराम के नारे गूंजे थे। उसका असर राष्ट्रीय राजनीति के अलावा देश के कई राज्यों की राजनीति में भी देखने को मिला था। कुछ ऐसा ही बंगाल में भी देखने को मिला। वाम दलों और कांग्रेस जैसी मजबूत पार्टियों के बीच 1991 के चुनाव में 11.34 फीसदी वोट हासिल किए थे। इससे पहले के चुनावों भाजपा का ऐसा प्रदर्शन कभी भी देखने को नहीं मिला था। खास बात तो ये थी उस दौरान पार्टी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी थी, लेकिन वोट बैंक बेस बनने की शुरुआत तभी से हो गई थी।

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ममता के आने के बाद कमजोर हुई भाजपा
1996 के चुनावों में बंगाल की राजनीति में ममत की एंट्री हुई। कांग्रेस में रहकर ममता ने लगातार होती कमजोर होती कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास किया। जिसकी वजह से भाजपा के वोट बैंक पर असर देखने को मिला। 1996 में भाजपा 6.45 फीसदी वोटों पर आ गई। 2001 के चुनाव में ममता एक बड़ी नेता के रूप में उभरी और कांग्रेस का दामन छोड़ टीएमसी की स्थापना की और चुनाव लड़ा और इस चुनाव में बीजेपी का सूर्य अस्त हो गया। इन चुनावों में बीजेपी ने भाग ही नहीं लिया। 2006 के चुनाव में बीजेपी को टीएमसी की छत्रछाया में चुनाव लडऩा पड़ा। करीब दस साल के बाद 2011 के चुनाव में भाजपा का खाता खुला और 4.06 फीसदी वो प्राप्त किए। 2016 में पार्टी को 10.16 फीसदी वोट ही नहीं मिले, बल्कि पहली बार 3 सीटें भी जीतीं।

1982 के चुनाव से शुरू हुआ था भाजा का सफर
वास्तव में भाजपा का बंगाल में सफर 1982 में शुरू हुआ था। तब पार्टी ने 52 सीटों पर चुनाव लड़ा और 0.58 फीसदी वोट मिले। उसके बाद 1987 के चुनावों में 57 सीटों चुनाव लड़ा और 0.51 फीसदी वोट हासिल कर सकी थी। उसके बाद 1991 के चुनाव में आडवाणी का जादू चला और 11.34 फीसदी वोट हासिल किए। यानी पांच साल में 22 गुना से ज्यादा वोट बैंक बेस तैयार किया। जबकि 2016 के मुकाबले 2021 में भाजपा का वोट बैंक बेस सिर्फ 3 गुना ही बढ़ा है।

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