छोटीसादड़ी के 9 वीं के छात्र ने तैयार किया जुगाड़ से स्कैटिंग बोर्ड
जिले के छोटीसादड़ी क्षेत्र के रंभावली के एक छात्र ने जुगाड़ से स्कैटिंग बोर्ड बनाया है। जो गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रतिभा को देखते हुए विद्यालयों के शिक्षक भी उसका प्रोत्साहन बढ़ा रहे है।
छोटीसादड़ी के 9 वीं के छात्र ने तैयार किया जुगाड़ से स्कैटिंग बोर्ड
विद्यालय प्रशासन भी कर रहा प्रोत्साहित
प्रतापगढ़
जिले के छोटीसादड़ी क्षेत्र के रंभावली के एक छात्र ने जुगाड़ से स्कैटिंग बोर्ड बनाया है। जो गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रतिभा को देखते हुए विद्यालयों के शिक्षक भी उसका प्रोत्साहन बढ़ा रहे है।
प्रतिभा किसी व्यक्ति अथवा धन संपत्ति की मोहताज नहीं नहीं होती, ना ही इसे लेकर उम्र की सीमा होती है। इसलिए तो छोटी उम्र के बच्चे भी ऐसे कारनामे कर दिखाते हैं। जिन्हें देख कोई भी हैरत में रह जाता है। रंभावली गांव में राजकीय विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा 9वीं के कुंदन प्रजापत ने जुगाड़ से स्कैटिंग बोर्ड तैयार किया है। विपरीत परिस्थतियों से जूझ रहे 14 साल के इस विद्यार्थी की जिंदगी में माता-पिता गुजरात के सूरत में भेलपुरी की लारी का ठेला लगाते हैं। जबकि कुंदन रंभावली गांव में अपनी दादी के पास रहकर पढ़ाई कर रहा है। अभावों में जिंदगी गुजर बसर कर रहा कुंदन बचपन से खिलौनों से जोड़-तोड़ करने की आदत है। जब भी उसकी मां उसे खिलौने दिलाती है, वह उसकी तकनीकी को जानने के लिए उत्सुक रहता है। कुंदन ने खिलौने की तकनीकी पर काम किया और दो दिन के समय में उसने पुराने बेरिंग, लकड़ी की पटिए और बाजार में मिलने वाली नॉर्मल सैंडल से जुगाड़ कर स्केटिंग बोर्ड बनाया दिया। विद्यालय में तकनीकी देख उन्होंने प्रतिभा का सम्मान करने के लिए उसकी पीठ थपथपाई।
छात्र द्वारा बनाई गई स्कैटिंग स्कूल में अन्य विद्यार्थियों के लिए भी एक सीख बनी हुई है। छात्र की प्रतिभा को देखते हुए विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक अशोक कुमार भाटी ने प्रोत्साहन देने के लिए नए स्केटिंग दिलाने का वादा किया। जो शीघ्र ही पूरे करेंगे। छात्र ने बताया कि मुझे आगे पढ़ाई कर डॉक्टर बनना है। प्रशासन को इस विद्यार्थी का सम्मान करना चाहिए ताकि इससे दूसरे विद्यार्थी प्रेरित हो सके।
दो दिन के प्रयास में रहा सफल
अध्यापक अशोक कुमार भाटी बताते हैं कि छात्र कुंदन ने पिछले दो दिनों में इस स्केटिंग को बनाया है। छात्र में प्रतिभा होने के साथ उसका उत्साह देखने योग्य रहा। स्कूल में ऐसी प्रतिभा की जरूरत होती है। जिससे दूसरे विद्यार्थी भी सीखकर स्कूल व माता पिता का गौरव बढ़ाएंगे।
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