scriptकांठल के जंगल में पेड़ों पर घोंसला बनाती हैं क्रीमीटोगास्टर चींटियां | Crematogaster ants make nests on trees in the Kanthal forest, many nests have also been found in this forest of Rajasthan | Patrika News
प्रतापगढ़

कांठल के जंगल में पेड़ों पर घोंसला बनाती हैं क्रीमीटोगास्टर चींटियां

प्रतापगढ़ जिले के जंगल और सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य जैव विविधताओं का संगम है। ऐसे में यहां कई अद्भुत जीव-जंतु पाए जाते हैं। इसी के तहत क्रीमीटोगास्टर नामक चींटियां भी पाई जाती है।

प्रतापगढ़May 19, 2024 / 03:22 pm

Akshita Deora

प्रतापगढ़ जिले के जंगल और सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य जैव विविधताओं का संगम है। ऐसे में यहां कई अद्भुत जीव-जंतु पाए जाते हैं। इसी के तहत क्रीमीटोगास्टर नामक चींटियां भी पाई जाती है। जो पेड़ों पर घोंसला बनाती हैं। लेकिन यह चींटी पूरे भारत वर्ष में चुङ्क्षनदा इलाकों में ही पाई जाती है। इस चींटी का अंग्रेजी नाम ब्लैक ट्री आंट, पेगोडा आंट है। जबकि इसका वैज्ञानिक नाम क्रिमेटोगास्टर, एबेरांस है। क्रीमीटोगास्टर चीटियों के घोंसले कांठल के जंगल में देखे गए हैं। आम तौर पर यह चींटियां उष्ण, उप ऊष्ण कटिबंधीय वनों के नम स्थलों के पेड़ों पर पाई जाती है, जो घने, झाड़ीदार पेड़ पर ही अपना फुटबॉलनुमा घोंसला बनाती है। इसकी कुछ प्रजातियां जमीन के अंदर घोंसला बनाती है तो कुछ पेड़ों पर बनाती है।
यह होती है क्रीमीटोगास्टर चींटी

यह चींटी चार-पांच एमएम लंबाई की होती है। इनका निचला पेट दिल के आकार का होता है। सहायक वन संरक्षक दिलीपसिंह गौड़ ने बताया कि लैटिन भाषा में इसे गेस्टर बोला जाता है। इसलिए इसका नाम क्रिमेटोगास्टर हुआ। यह अपना आवास पेड़ के ऊपर फुटबॉलनुमा बनाती है। इसमें यह अपने अंडे और इल्लियां रखती है। इसका भोजन पक्षियों के अंडे, कीड़े आदि होता है। खतरा होने से अपने दिल के आकार के पेट को ऊपर उठाकर डंक निकालकर कंपन्न कर संकेतों का संपे्रषण करती है। चीडिय़ों, सरीसृप आदि को डंक चूभोकर भगाती और दूर करती है।
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आश्चर्यजन होता है घोंसला

पेड़ पर इस तरह बना इनका घोंसला अनूठा और आश्चर्यजनक होता है। सीतामाता के जंगल में इसके घोंसले 20 फीट तक ऊंचाई पर पेड़ों पर भी देखे गए हैं। यह अपना घोंसला मिट्टी, तिनके, घास, छाल, रेशों और अपनी लार को मिलाकर बनाती है। जो बारिश में भी अंदर से गीला नहीं होता है। इन चींटियों के घोंसले दो फीट वृत्ताकार तक भी होते है।
जैव समृद्धता का प्रतीक

प्रतापगढ़ के जंगल जैव समृद्धता का द्योतक है। यहां कई जीव-जंतु पाए जाते है। यहां जंगल में कुछ स्थानों पर क्रीमीटोगास्टर नामक चींटियां भी पाई गई है। इनके संरक्षण को लेकर विभागीय कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए है। वैसे स्टाफ को पर्यावरण संरक्षण के लिए कहा गया है।
– हरिकिशन सारस्वत, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़.

दुर्लभ चींटियों में शामिल हैं क्रीमीटोगास्टर प्रजाति

क्रीमीटोगास्टर नामक चींटियां काफी कम है। इन घोंसलों की संया यहां बहुत कम दिखे है। चूंकि यह दुर्लभ प्रजाति की चींटियां है। इसको बचाने के प्रयास होना चाहिए। इसके घोंसले खेजड़ी, बहेड़ा और पलाश के पेड़ों पर देखे गए हैं। इन घोंसलो को नुक्कसान नहीं पहुंचाएं और ना ही कौतूहलवश इसे छेड़ें। जिस पेड़ पर इसके घोंसले हो उन्हे नहीं काटना चाहिए। हर छोटे बड़े जीव का पर्यावरएा में अपना एक विशिष्ट योगदान है। जागरूक लाकर इनका संरक्षण किया जा सकता है।
– मंगल मेहता, पर्यावरणविद्, प्रतापगढ़.

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