
महुए के फलों को पत्थर आदि से कूटकर साफ करते लोग, जिन्हे बाजार में बेचा जाएगा।
Pratapgarh News : इन दिनों जंगल में महुए के पेड़ पर पके फल को एकत्रित करने पर आदिवासियों को रोजगार मिल रहा है। इसके फलों को पत्थर आदि से कूटकर साफ किया जा रहा है। इन फलों को बाजार में बेचा जा रहा है। इसे डोलमा कहा जाता है। यह डोलमा लघु वन उपज के तहत शामिल है। जिससे आदिवासियों को इससे आय हो रही है।
गौरतलब है कि जंगलों, खेतों की मेड़ आदि पर महुए के पेड़ पर इन दिनों फल पककर गिर रहे हैं। ऐसे में लोग इन फलों को एकत्रित करने में लगे हुए है। यह फल ऊपर से कठोर परत वाला होता है। ऐसे में डोलमा को पत्थर आदि से कूटकर आवरण हटाया जाता है। इसके अंदर से गीरी के रूप में फल निकलता है। जो मुलायम होता है। इसे डोलमा कहते है। जबकि इसके फूल से जहां देशी शराब बनती है। वहीं इसके फल को डोलमा कहा जाता है। जिससे तेल निकाला जाता है। ऐसें में इन दिनों डोलमा एकत्रित किया जा रहा है। जो बाजार में बेचा जाता है।
अमुमन जंगलों में खड़े महुए के पेड़ को आदिवासी वर्ग कभी भी नहीं काटता है। इसका कारण है कि इस पेड़ से फूल पककर जमीन पर गिरते है। इन फूलों को एकत्रित किया जाता है। जो हथकढ़ी शराब बनाई जाती है। इसके बाद पेड़ पर जो फल लगता है। इसको भी काम में लिया जाता है। जो कई उपयोग में आता है। ऐसे में इस पेड़ से वर्षों तक अच्छी आय मिलती है। ऐसे में इन पेड़ों को आदिवासी कभी नहीं काटते है।
डोलमा का तेल खाने में मदुरातालाब क्षेत्र में इन दिनों कई लोग डोलमा की सफाई करने में जुटे हुए है। प्रतापगढ़ जिले के ग्रामीणों ने बताया कि इसकी गिरी निकाली जा रही है। इसका तेल निकाला जाता है। ग्रामीणों के अनुसार इस तेल को सदियों से खाने में काम में लिया जाता रहा है। जबकि डोलमा से तेल निकालने के बाद बची हुई खली को मवेशियों के खिलाया जाता है।
महुए का पेड़ कई कामों में आता है। इस पेड़ से आदिवासियों को काफी आय मिलती है। इसके फुल, फल आदि को काम में लिया जाता है। जंगलों में महुए के पेड़ की कटाई नहीं होती है। इन दिनों फल पक चुके है। इनको एकत्रित किया जा रहा है।
- सोमेश्वर त्रिवेदी, क्षेत्रीय वन अधिकारी, सीतामाता अभयारण्य प्रतापगढ़
डोलमा का उपयोग आदिवासी वर्ग में कई वर्षों से किया जाता है। इससे तेल निकाला जाता है। जो खाद्य के रूप में काम आता है। इसके साथ ही यह तेल साबून बनाने, औषधियों में भी काम में लिया जाता है। पेड़ पर पकने के बाद इसे तोड़कर सख्त आवरण हटाने के बाद जो मुलायम गिरी काम में ली जाती है। एक किलो डोलमा में करीब आधा किलो तेल निकलता है।
Updated on:
03 Jul 2024 02:35 pm
Published on:
03 Jul 2024 02:21 pm
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