जानलेवा: नासूर बने सडक़ों के गड्ढे, तेज रफ्तार वाहनों पर नहीं लगाम
शहर से गुजर रहा एनएच 113 बन हादसों की सडक़तेज रफ्तार वाहनों पर नहीं लगाम, अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं- नासूर बन चुके सडक़ों के गड्ढे, हादसों को दे रहे न्योता
जानलेवा: नासूर बने सडक़ों के गड्ढे, तेज रफ्तार वाहनों पर नहीं लगाम
प्रतापगढ़. जिला मुख्यालय पर शहर से गुजर रहा राष्ट्रीय राजमार्ग 113 अब तक कई जाने ले चुका है, लेकिन प्रशासन व सम्बंधित विभाग इस और आंखे मूंदे बैठे हुए हैं। तेज रफ्तार वाहनों से लगातार हो रहे हादसों व मुख्य सडक़ पर खुदे जानलेवा गड्ढ़ों पर विभाग व प्रशासन कितना जिम्मेदार है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसी मार्ग से जिले के जिला कलक्टर सहित तमाम अधिकारी रोजाना मिनी सचिवालय पहुंच जिले में हो रही लोगों की समस्याओं को सुनते हैं लेकिन ना तो तेज रफ्तार वाहनों पर अंकुश लग पा रहा है और ना ही गड्ढे दुरुस्त हो पा रहे हैं वहीं लोगों की मांग के अनुसार इन पर लगाम लगाने के लिए स्पीड ब्रेकर भी नहीं लगाए जा रहे हैं।
चार से पांच इंच के गड्ढे, क्या फिर लेंगे किसी की जान ?
शहर के एनएच 113 पर चार से पांच इंच के बड़े-बड़े गड्ढे खुदे हुए हैं जो फिर कभी किसी की जान ले सकते हंै। कुछ समय पूर्व इन जानलेवा गड्ढों के चलते जहां एक युवक ने अपनी जान तक गंवा दी। वहीं कई छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। पत्रिका टीम ने शहर से गुजर रहे राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच खुदे लापरवाही के गड्ढों का नाप लेकर 22 अगस्त को समाचार का प्रकाशन किया था, जिसके बाद पूर्व जिला कलक्टर श्याम सिंह राजपुरोहित ने अधिकारियों को मरम्मत के आदेश दिए थे। वह आदेश अब हवा बन चुके है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की ओर से एक दो बार खानापूर्ति भी कर दी गई। एक दो दिन बाद फिर से वहींहालात नजर आने लगते हैं। गड्ढों के चलते वाहन चालकों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही हैं। वहीं हर समय दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है।
तेज रफ्तार से जा चुकी है कई जाने
एनएच 113 पर तेज रफ्तार से दोड़ रहे वाहनों पर लगाम नहीं होने से अब तक कई जाने जा चुकी हैं। शहर के बांसवाड़ा रोड पर एलबीएस कॉलेज, रिलायंस पेट्रोल पंप के सामने, जिला चिकित्सालय के बाहर, नीमच नाके पर, ट्रेगौर पार्क के सामने सहित कई जगहों पर अब तक 10 से अधिक जाने चली गई हैं। फिर भी तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम लगाने के लिए स्पीड ब्रेकर नहीं दिखाई देते हैं।
सडक़ खोदी, दुरुस्त नहीं की
जलदाय विभाग की ओर से 94 करोड़ रुपए की पेयजल योजना के तहत शहर के एनएच पर पुरानी पाइप लाइन की जगह नई पाइप लाइन डालने का काम किया गया था। इसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों की लापरवाही के कारण लम्बे समय से काम अधूरा पड़ा रहा। पत्रिका की ओर से लगातार खबर प्रकाशन के बाद आधा अधूरा कार्य कर फिर से इतिश्री कर ली गई। एनएच पर ठेकेदार की ओर से थोड़ी जगह कार्य किया गया लेकिन वह भी मात्र खानापूर्ति सडक़ पर बिना लेवलिंग कर कार्य किया गया तो सडक़ ऊपर नीचे होने के कारण वाहन चालक गिरकर चोटिल हो रहे है। वहीं आधी सडक़ पर अभी भी कार्य अधूरा ही पड़ा हुआ है।
स्थाई लोक अदालत ने भी दिए थे आदेश, अधिकारी फिर भी मौन
शहर के एनएच 113 पर चित्तौडगढ़ रोड पर जिला स्थायी लोक अदालत और जिला व सत्र न्यायाधीश की ओर से 25 जनवरी को एक प्रकरण की सुनवाई करते हुए शहर से गुजर रहे राष्ट्रीय राजमार्ग पर जहां-जहां भी ***** ब्लॉक किए गए है, उन्हें एक माह में खोलने के आदेश दिए थे। इसी प्रकार जहां भी नाले पाट दिए है, उन्हे वापस अपने मूल रूप में लाने को कहा था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर इन आदेशों का कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है।
यहां सबसे ज्यादा खतरा, फिर भी स्पीड ब्रेकर नहीं
राष्ट्रीय राजमार्ग पर पंडित दीनदयाल सर्कल, अम्बेडकर सर्कल, सांवरिया बोरवेल के यहां, ट्रैगोर पार्क के सामने, नीमच नाका, दर्पण टॉकीज के सामने, एसएस अपार्टमेंट, मारूति नगर सब्जी मंडी के सामने, मारवाड़ी कॉम्पलेक्स, समता छविगृह के सामने, जैंन बोर्डिग के सामने, काका साहब दरगाह के यहां, एलबीएस कॉलेज के सामने, जिला चिकित्सालय के सामने, जवाहर नगर के कॉर्नर पर, राजकीय महाविद्यालय के सामने, वुडलैंड पार्क के सामने स्पीड ब्रेकर जरूरी है। फिर भी तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम लगाने के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं हैं।
हर बार हादसों के बाद बनते है स्पीड ब्रेकर
हर बार हादसों के बाद आक्रोशित लोग प्रदर्शन कर स्पीड ब्रेकर की मांग करते हैं। तब हादसे वाली जगह पर स्पीड ब्रेकर बना दिया जाता है। जबकि अन्य खतरे वाली जगहों पर स्पीड ब्रेकर नहीं बनाते। जिला चिकित्सालय के बाहर एक युवक की जान जाने के बाद गुस्साए लोगों ने जाम लगाकर स्पीड ब्रेकर की मांग, कुलमीपुरा गांव में हाल ही में हादसे में तीन जनों की मौत के बाद ग्रामीणों के जाम के बाद प्रशासन की स्पीड ब्रेकर बनाए हैं। ऐसे में आखिर सवाल यह खड़ा होता है कि प्रशासन पहले क्यों सुध लेकर तेज रफ्तार वाहनों पर काबू पाने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता है।
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