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प्रतापगढ़

जिलामुख्यालय के शहर को भी मिले स्मार्टसिटी योजना में शामिल होने का लाभ, 15 वें वित्त आयोग के समक्ष सभापति ने रखे प्रस्ताव

– सभापति ने दिया प्रजेंटेशन
 

प्रतापगढ़Sep 09, 2019 / 07:32 pm

Rakesh Verma

जिलामुख्यालय के शहर को भी मिले स्मार्टसिटी योजना में शामिल होने का लाभ, 15 वें वित्त आयोग के समक्ष सभापति ने रखे प्रस्ताव

जिलामुख्यालय के शहर को भी मिले स्मार्टसिटी योजना में शामिल होने का लाभ, 15 वें वित्त आयोग के समक्ष सभापति ने रखे प्रस्ताव

प्रतापगढ़. पन्द्रहवें केन्द्रीय वित्त आयोग की कमेटी ने गत दिनों जयपुर में आयोजित विभिन्न क्षेत्र के प्रतिनिधियों और स्थानीय निकायों के प्रमुखों से बातचीत की। इसमें प्रतापगढ़ का प्रतिनिधित्व सभापति कमलेश डोसी ने किया। उन्होंने सुझाव दिया कि स्मार्टसिटी का दर्जा देने के लिए जनसंख्या की बजाय जिला स्तर का मापदंड रखा जाए, जिससे प्रतापगढ़ जैसे जिलों को भी स्मार्टसिटी योजना में शामिल किया जाए। उन्होंने चुंगी पुनर्भरण की राशि बढ़ाने, ऐतिहासिक धरोहर के रख-रखाव के लिए बजट बढ़ाने और बीपीएल की योजनाओं में राशि बढ़ाने आदि कई सुझाव दिए।
बैठक में आर्थिक व औद्योगिक जगत के विशेषज्ञों सहित ग्रामीण व शहरी निकायों के जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। राजस्थान की 200 नगरीय निकायों में से शहरी जनप्रतिनिधियों में 8 नगरीय निकायों के महापौर, सभापति और अध्यक्षों ने आयोग के समक्ष नगरीय निकायों को अधिक बजट आंवटन के अपने-अपने सुझाव दिए।
इस अवसर पर नगर परिषद सभापति कमलेश डोसी ने कहा कि 7 वें वित्त आयोग के लागू होने के बाद चुंगी पुनर्भरण की राशि जारी की जाती है। उससे स्थानीय निकायों के कर्मचारियों का वेतन का खर्च भी नहीं निकल पाता। इसलिए चुंगीपुनर्भरण की राशि बढ़ाई जानी चाहिए।
केन्द्र सरकार द्वारा देय राशि का मापदण्ड 2011 की जनसंख्या रहती है,लेकिन 2011 से 2019 तक की जनसंख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसके तहत राज्य सरकार द्वारा जारी देय राषि काफी कम है। इसमें 2019 की जनसख्ंया के आधार पर वृद्धि करनी चाहिए।
सभापति ने बैठक में कहा कि राजस्थान की प्रत्येक नगरीय निकायों में प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर है जो देखरेख व बजट के अभाव मे जीर्ण-शीर्ण हो रही है। ऐसे पर्यटन स्थलों को विकसित कर उनकी देखरेख की जाए ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। इसके लिए शहरीय निकायों को अलग से बजट आंवटन किया जाना चाहिए।
राजस्थान में गांवों के आमजन का शहर की तरफ शिक्षा, व्यापार के लिए आगमन हो रहा है। इस कारण शहर में जनसंख्या की वृद्धि हो रही है। इससे शहर का विकास आय के अभाव में नहीं हो पा रहा है। इसके लि शहर के विकास के लिए नगरीय निकायों को अतिरिक्त बजट आंवटन किया जाना चाहिए।
आयोग के समक्ष सुझाव रखते हुए सभापति ने सार्वजनिक रोशनी के लिए भी नगरीय निकायों को अतिरिक्त बजट जारी करने का सुझाव रखा । साथ ही समय-समय पर किसी न किसी रूप में आने वाली आपदाओं से निपटने के लिए अलग से मद बनाकर नगरीय निकायों को जारी करने का सुझाव दिया ।
सभापति ने आयोग के समक्ष सुझाव रखते हुए कहा कि वर्तमान में स्थानीय निकायों द्वारा लीज व कृषि भूमि रूपान्तरण शुल्क क्रमश: 90 प्रतिशत व 40 प्रतिशत विभाग को जमा कराया जाता है। बल्कि इस राशि को खर्च करने का अधिकार स्थानीय निकायों को दे दिया जाना चाहिए, जिससे कि वे शहर के विकास कर सके ।
सभापति ने सुझाव दिया कि बीपीएल परिवारों का सर्वे वर्ष 2006 में हुआ था। इसके बाद कई गरीब परिवार इसमें जुड़ गए। इसलिए योजना में अतिरिक्त राशि जारी की जानी चाहिए।
सभापति ने आयोग के समक्ष स्मार्ट सिटी के बारे में सुझाव देते हुए कहा कि वर्तमान में स्मार्ट सिटी के लिए एक लाख की जनसंख्या का मापदण्ड निर्धारित किया हुआ है। इसे बदलकर जिला स्तरीय किया जाए ताकि जिला स्तरीय निकायों के द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए अलग से कार्यवाही की जा सके। साथ ही सभापति ने आयोग के समक्ष सुझाव रखते हुए कहा कि सफाई कर्मचारियों के वेतन को स्वच्छ भारत मिशन से जोड़ा जाए। बैठक में 10 स्थानीय निकाय जयपुर,बीकानेर,श्रीगंगानगर, प्रतापगढ़, सीकर, सुजानगढ़, निवाई,सांभर तथा केशोरायपाटन के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपने सुझाव आयोग के समक्ष रखे।

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