सर्दी में वायरस सक्रिय
स्वाइन फ्लू एक तीव्र संक्रामक रोग है।जो एक विशिष्ट प्रकार के एंफ्लुएंजा वायरस एच.1 एन.1 से होता है। ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुमुद माथुर ने बताया कि प्रभावित व्यक्ति में सामान्य मौसमी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं। जैसे नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना। गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द और कभी-कभी दस्त-उल्टी आना। हालांकि यह सामान्य सर्दी भी हो सकती है। लेकिन ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। किसी भी स्थिति में झोलाछाप, झाड़-फूंक या सीधे लैब संचालकों के पास नहीं जाना चाहिए। वहीं बुजुर्गों, छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को यह जल्दी प्रभावित करता है। इसलिए ध्यान रखने की आवश्यकता है।
स्वाइन फ्लू एक तीव्र संक्रामक रोग है।जो एक विशिष्ट प्रकार के एंफ्लुएंजा वायरस एच.1 एन.1 से होता है। ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुमुद माथुर ने बताया कि प्रभावित व्यक्ति में सामान्य मौसमी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं। जैसे नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना। गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द और कभी-कभी दस्त-उल्टी आना। हालांकि यह सामान्य सर्दी भी हो सकती है। लेकिन ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। किसी भी स्थिति में झोलाछाप, झाड़-फूंक या सीधे लैब संचालकों के पास नहीं जाना चाहिए। वहीं बुजुर्गों, छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को यह जल्दी प्रभावित करता है। इसलिए ध्यान रखने की आवश्यकता है।
कैसे फैलता है यह रोग
इसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों से होता है। रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के बाद जिस भी वस्तु को छूता है, पुन उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से रोग का संक्रमण हो सकता है। इसलिए सामान्य सर्दी-जुकाम में भी रूमाल आदि का उपयोग करना चाहिए। बार-बार हाथ धोते रहना चाहिए। इस बीमारी में संक्रमित होने के बाद एक से सात दिन के अंदर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। जरूरी है कि इस बीमारी से जितना संभव हो सके बचाव किया जाएगा।
इसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों से होता है। रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के बाद जिस भी वस्तु को छूता है, पुन उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से रोग का संक्रमण हो सकता है। इसलिए सामान्य सर्दी-जुकाम में भी रूमाल आदि का उपयोग करना चाहिए। बार-बार हाथ धोते रहना चाहिए। इस बीमारी में संक्रमित होने के बाद एक से सात दिन के अंदर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। जरूरी है कि इस बीमारी से जितना संभव हो सके बचाव किया जाएगा।
इस तरह करें बचाव
खांसी, जुकाम, बुखार के रोगी दूर रहें। आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं। हाथों को साबुन, एंटीसेप्टिक द्रव से धोकर साफ करें। खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखें। सहज एवं तनावमुक्त रहिए। तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है। जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। स्टार्च, आलू, चावल आदि तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। इस प्रकार के पदार्थों का अधिक सेवन करने से शरीर में रोगों से लडने वाली विशिष्ट कोशिकाओं न्यूट्रोफिल्स की सक्रियता कम हो जाती है। दही का सेवन नहीं करें, छाछ ले सकते हैं। खूब उबला हुआ पानी पीएं व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करें। सर्दी-जुकाम, बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें। घर पर ही रहकर आराम करते हुए उचित लगभग 7-9 घंटे की नींद लें।
खांसी, जुकाम, बुखार के रोगी दूर रहें। आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं। हाथों को साबुन, एंटीसेप्टिक द्रव से धोकर साफ करें। खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखें। सहज एवं तनावमुक्त रहिए। तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है। जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। स्टार्च, आलू, चावल आदि तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। इस प्रकार के पदार्थों का अधिक सेवन करने से शरीर में रोगों से लडने वाली विशिष्ट कोशिकाओं न्यूट्रोफिल्स की सक्रियता कम हो जाती है। दही का सेवन नहीं करें, छाछ ले सकते हैं। खूब उबला हुआ पानी पीएं व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करें। सर्दी-जुकाम, बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें। घर पर ही रहकर आराम करते हुए उचित लगभग 7-9 घंटे की नींद लें।