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प्रतापगढ़

चिकित्सा विभाग हुआ सतर्क, जाखमिया गांव में घर-घर सर्वे

आंगनबाड़ी केन्द्र, स्कूलों में जागरुकता के कार्यक्रम

प्रतापगढ़Jan 16, 2019 / 10:57 am

Rakesh Verma

pratapgarh

चिकित्सा विभाग हुआ सतर्क, जाखमिया गांव में घर-घर सर्वे

छोटीसादड़ी उपखंड के जाखमिया गांव में स्वाइन फ्लू से एक युवक की मौत के बाद चिकित्सा विभाग सतर्क हो गया। चिकित्सा विभाग की ओर से मंगलवार को टीमें गांव पहुंची। जहां मृतक के निकट संबंधि पत्नी सहित 5 व्यक्तियों के सेंमप लिए गए। वहीं गांव में टेमी फ्लू दवाई का वितरण किया गया। इसके साथ ही स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए घर-घर सर्वे, आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में जागरूक के कार्यक्रम किए गए।
जाखमिया निवासी तखतमल मीणा की स्वाइन फ्लू पोजिटिव की रिपोर्ट आने पर दूसरे दिन मंगलवार को खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुमुद माथुर के निर्देश पर एएनएम केसर मीणा के नेतृत्व में पुन: घर-घर सर्वे किया गया। पांच लोगों का प्रतापगढ़ में निजी लैब में ले जाकर सेम्पल लिए गए। एएनएम केसर मीणा ने बताया कि मंगलवार को 198 घरों का सर्वे कर लोगों को मौसमी बीमारी से संबंधित दवाइयां के साथ टेमी फ्लू दवाई दी गई।
चिकित्सा टीम सर्वे कर टेमी फ्लू वितरण के साथ साथ मृतक की पत्नी कारीबाई के भी स्वाइन फ्लू के संदिग्ध लक्षण पर चिकित्सा विभाग के दल ने पांच व्यक्तियों को जांच के लिए प्रतापगढ़ की एक निजी लेब में नमूने लिए गए है। जिनकी रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा कि इनमें स्वाइन फ्लू पॉजीटिव है या नेगेटिव है।
वहीं ग्रामीणों में इस बीमारी को पांव पसारने के रोकने के लिए तुंरत सभी इलाकों में पूर्ण सर्वे करने व टेमी फ्लू वितरण तथा काढ़ा पिलाने आदि बचाव उपाय करवाने की जानकारी दी हैं।
रोग की पहचान, बचाव और निदान के पेम्पलेट बांटे
यहां गांव में ग्रामीणों को स्वाइन फ्लू की पहचान, बचाव के पेम्पलेट बांटे गए। गांव के स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों व वयस्कों को स्वाइन फ्लू से बचाव व सुरक्षा के उपाय के साथ-साथ पेम्पलेट वितरित किए गए। जिससे इस रोग को फैलने से बचाया जा सके।
सर्दी में वायरस सक्रिय
स्वाइन फ्लू एक तीव्र संक्रामक रोग है।जो एक विशिष्ट प्रकार के एंफ्लुएंजा वायरस एच.1 एन.1 से होता है। ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुमुद माथुर ने बताया कि प्रभावित व्यक्ति में सामान्य मौसमी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं। जैसे नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना। गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द और कभी-कभी दस्त-उल्टी आना। हालांकि यह सामान्य सर्दी भी हो सकती है। लेकिन ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। किसी भी स्थिति में झोलाछाप, झाड़-फूंक या सीधे लैब संचालकों के पास नहीं जाना चाहिए। वहीं बुजुर्गों, छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को यह जल्दी प्रभावित करता है। इसलिए ध्यान रखने की आवश्यकता है।
कैसे फैलता है यह रोग
इसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों से होता है। रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के बाद जिस भी वस्तु को छूता है, पुन उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से रोग का संक्रमण हो सकता है। इसलिए सामान्य सर्दी-जुकाम में भी रूमाल आदि का उपयोग करना चाहिए। बार-बार हाथ धोते रहना चाहिए। इस बीमारी में संक्रमित होने के बाद एक से सात दिन के अंदर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। जरूरी है कि इस बीमारी से जितना संभव हो सके बचाव किया जाएगा।
इस तरह करें बचाव
खांसी, जुकाम, बुखार के रोगी दूर रहें। आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छुएं। हाथों को साबुन, एंटीसेप्टिक द्रव से धोकर साफ करें। खांसते, छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखें। सहज एवं तनावमुक्त रहिए। तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है। जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। स्टार्च, आलू, चावल आदि तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। इस प्रकार के पदार्थों का अधिक सेवन करने से शरीर में रोगों से लडने वाली विशिष्ट कोशिकाओं न्यूट्रोफिल्स की सक्रियता कम हो जाती है। दही का सेवन नहीं करें, छाछ ले सकते हैं। खूब उबला हुआ पानी पीएं व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करें। सर्दी-जुकाम, बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें। घर पर ही रहकर आराम करते हुए उचित लगभग 7-9 घंटे की नींद लें।
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