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प्रतापगढ़

Protection of environment is necessary, पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक, अन्यथा नहीं मिलेगी प्राणवायु

Protection of environment is necessary, पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक, अन्यथा नहीं मिलेगी प्राणवायु

प्रतापगढ़Jun 28, 2022 / 08:09 am

Devishankar Suthar

Protection of environment is necessary,  पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक, अन्यथा नहीं मिलेगी प्राणवायु

Protection of environment is necessary, पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक, अन्यथा नहीं मिलेगी प्राणवायु


प्रतापगढ़. जिले के जंगलों में गत वर्षों से अवैध गतिविधियां बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही वन क्षेत्र से अवैध दोहन भी हो रहा है। जिसमें पेड़ों की कटाई प्रमुख है। इसके साथ ही गत वर्षों से वन्यजीवों के शिकार के मामले भी देख जा रहे है। हालांकि वन विभाग की ओर से गश्त की जा रही है। लेकिन अवैध गतिविधियों में कमी नहीं हो रही है। ऐसे में वन विभाग की ओर से जो कार्रवाई की जा रही है। आगे के लिए विभाग की ओर से जो योजना बनाकर अमल में लाई जाएगी। इसे लेकर पत्रिका की ओर से उपवन संरक्षक सुनील कुमार से बातचीत की गई। इसके प्रमुख अंश इस प्रकार हंै।
प्रश्न- गत वर्षों से जंगल में हरियाली में कमी आई है, इसके क्या कारण है।
उत्तर- इसके कई कारण है। जिसमें अवैध कटाई तो है ही। गत वर्षों से वनाधिकार अधिनियम की आड़ में कुछ लोग लालच में अपने खेत की सीमा बढ़ाने के लिए पेड़-पौधे आदि की कटाई कर जमीन पर कब्जा करते है। इसके साथ ही कई बार जंगल में निवासरत लोगों को बाहर के माफिया आकर लालच में जंगल कटवाते है। ऐसे में जंगल क्षेत्र में हरियाली में कमी आ रही है। ऐसे में हमें अभी से चेतना होगा, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण करना होगा। अन्यथा प्राणवायु की भी दिक्कत हो सकती है।
प्रश्न- वन्यजीवों की संख्या में भी कमी आ रही है।
उत्तर- जंगल में वन्यजीवों की संख्या में कमी होने का प्रमुख कारण जंगल में मनुष्यों की गतिविधियां बढऩा है। गत वर्षों से पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिसमें जंगल में वन्यजीवों की संख्या कम होती जा रही है। वहीं मनुष्य अब जंगल में घुसपैठ करने लगे है। ऐसे में कई प्रजातियों के वन्यजीव अपना प्राकृतिक आवास छोडऩे के लिए मजबूर हो जाते है। जिससे इनकी संख्या में कमी आने लगी है। कुल मिलाकर प्राकृतिक संतुलन बिगडऩे से इसका सीधा असर हो रहा है।
प्रश्न- जंगल में हर बार पौधरोपण किया जाता है, लेकिन काफी कम संख्या में यह पौधे बड़े होकर पेड़ बन जाते है। इसके लिए विभाग की ओर से क्या प्रयास है।
उत्तर- वन विभाग की ओर से प्रति वर्ष पौधे लगाए जाते है। जो बारिश होने के एक माह बाद लगाए जाते है। ऐसे में कई पौधे बारिश में ही खत्म हो जाते है। इसमें कुछ पौधों को मवेशी नुकसान पहुंचा देते है। जबकि कुछ पौधे बारिश खत्म होने के बाद पानी नहीं मिलने से जीवित नहीं रह पाते है। इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए इस बार से बारिश से पहले ही बीजारोपण शुरू किया गया है। जिसमें पेड़ की प्रजातियों के अनुसार नालों के किनारे, ऊंचाई पर और ढलान में बीजारोपण किया जा रहा है। जिससे बारिश होने पर यह अंकुरित हो जाएंगे। इससे आगामी तीन माह तक पानी मिलेगा। जिससे इन पौधों की लंबाई भी अपेक्षाकृत अधिक हो जाएगी। वहीं जो पौधे तैयार किए गए है। वह भी पहली बारिश के बाद ही पौधरोपण किया जा रहा है। जिससे अधिक मात्रा में पौधे जीवित रह सके।
प्रश्न- जंगल में मिट्टी दोहन भी गत वर्षों से बढ़ता जा रहा है। इस समस्या को खत्म कैसे किया जा सकता है।
उत्तर- जंगल से मिट्टी दोहन के मामले एक दशक से बढ़े है। इसके तहत अधिकांश मामले में ईंट-भट्टों में ही इसका उपयोग होना सामने आया है। मिट्टी के दोहन पर अंकुश लगाने के लिए विभाग की ओर से लगातार गश्त की जा रही है। इस वर्ष से विभाग की ओर से जो भी ट्रैक्टर-ट्रॉली पकड़ी है। उसे राजसात किया जा रहा है। जिससे मिट्टी दोहन पर अंकुश लगा है। हालांकि कुछ स्थानों पर चोरी-छुपे इस प्रकार की गतिविधियां जारी है। इसके लिए हम कोशिश कर रहे है।
प्रश्न- कुछ वर्षों से बारिश की शुरुआत से ही जंगल में खेत बनाकर कब्जा कर लिया जाता है। इस गंभीर चुनौती से विभाग कैसे निपटेगा।
उत्तर- यह समस्या गत कई वर्षों से चली आ रही है। जंगल में आदिवासियों के कब्जे को लेकर सरकार की ओर से वनाधिकार के तहत पट्टे दिए जाने का प्रावधान किया गया है। जिसमें जिन लागों के जंगल में वर्ष 2005 से पहले का कब्जा होता है। उसे ही वनाधिकार दिया जा रहा है। हालांकि कई लोग इसकी आड़ में जंगल में पेड़-पौधों की कटाई कर कब्जा बताते है। जबकि विभाग की ओर से इसके लिए गत वर्षों का जीपीएस और गुगल मेप के आधार पर जांच की जाती है। जिसमें कब्जा किस वर्ष का है, यह स्पष्ट पता चल जाता है। जिससे इस प्रकार के दावे खारिज हो जाते है। कब्जों के लिए विभाग और सरकार की ओर से गुगल मेप और जीपीएस की रिपोर्ट प्रमुख रूप से मान्य होती है। इससे लोगों को इस संबंध में भी जानकारी दी जा रही है।गश्त कर
प्रश्न-पर्यावरण संरक्षण के लिए आमजन से क्या अपील करना चाहेंगे।
उत्तर- मनुष्यों और सभी जीवों के अस्तित्व के लिए पर्यावरण का अहम् योगदान है। यह तो हम सभी जानते है। गत वर्षों से प्रकृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इसके परिणाम भी सामने आने लगे है। ऐसे में आमजन से यही अपील है कि वे पर्यावरण संतुलन में योगदान दें। पर्यावरण में नुकसान नहीं पहुंचाए। अधिक से अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाकर संरक्षण करें। जंगल बचाने के लिए वन विभाग की मदद करें। कोई भी व्यक्ति अगर जंगल का नुकसान करता दिखे तो उसे रोके और इनका हमारे जीवन पर पडऩे वाले असर की जानकारी दें।

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