हवन के साथ भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव का हुआ समापन
धर्म कार्य में निमग्न रहो
हवन के साथ भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव का हुआ समापन
छोटीसादड़ी पूर्व के पुण्य के बिना कुछ नहीं मिलता। जो बुद्धिमान होता है, वह गर्व व अभिमान नहीं करता है। बुद्धिमान व्यक्ति बड़ों का आदर करता है। कर्म की गति विचित्र होती है। किए हुए कर्मो का शुभ-अशुभ फल स्वयं को ही भोगना पड़ता है। हमारा कर्म हमारे उदय में ही आता है। यह बात बाबा रामदेव मंदिर परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतिम दिन पंडित भीमाशंकर शास्त्री ने श्रद्धालुओं से कही। उन्होंने कहा कि परमात्मा की आज्ञा से हर काम पूर्ण होते है। कहते है संसार असार है। समुद्र के अंदर इतना पानी समाया हुआ है लेकिन सारा पानी ही खारा है। उसी प्रकार संसार में भी हर जगह दुख ही दुख है। मन को जिसने समझा लिया कि ये कार्य करना है तो निश्चित ही वह व्यक्ति कार्य को कर सकता है। गृहस्थ जीवन को सुखमय बनाने के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन सुखी बनाए रखने का एक मात्र सूत्र है, धर्म कार्य में निमग्न रहो, धर्म आचरण करो, धार्मिक नियमों का पालन करते गृहस्थ जीवन जीओ।
पंडित शास्त्री ने वर्तमान साधन संपन्न जीवन होने के बावजूद भी अनुशासनहीनता पर व्यंग करते हुए कहा कि पहले के जमाने में घड़ी नहीं होती थी। फिर भी लोग अनुशासन व नियमबद्ध तरीके से जीवन जीते थे। लेकिन इस आधुनिक युग में घडी, मोबाइल सहित अन्य भौतिक सुख सुविधाओं को अंबार होने के बावजूद लोगों जीवन दिन प्रतिदिन अस्त-व्यस्त होता जा रहा है।
समापन पर प्रभु कृष्ण के विवाह प्रसंग के साथए सुदामा चरितए और परीक्षित मोक्ष की कथा सुनाई। यज्ञ के आयोजन के साथ कथा का समापन हुआ।
किया सम्मानित
भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव में अपना योगदान देने वाले श्रद्धालुओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बाबा रामदेव विकास समिति के संरक्षक घनश्याम आंजना, अध्यक्ष महिपालसिंह, कैलाश तिवारी, सुंदरदास वैष्णव, चारभुजा मंदिर संघ के अध्यक्ष रमेश उपाध्याय, उपाध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा, मंत्री शिवप्रसाद खींची, संरक्षक रामचंद्र शर्मा, अध्यापक कन्हैयालाल जटिया, प्रभुलाल, शांतिलाल धाकड़, बद्रीलाल सुथार, भोलीराम, लक्ष्मण कुमावत, किशनलाल, मथुरालाल, गोपाललाल जणवा, मोहनलाल, हेमराज रावत, मोहनलाल, लक्ष्मीलाल कुमावत, नानालाल धाकड़, उदयलाल धाकड़ सहित कई सदस्य मौजूद थे।
थड़ा
यहां आयोजित रामकथा की पूर्णाहुति सोमवार को होगी।इस मौके पर हवन का आयोजन किया जाएगा। कथावाचक देवकीनंदन शास्त्री ने राम और शबरी का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान की दृष्टि में कोई भी गरीब-अमीर नहीं होता है। केवल मन में भावना होनी चाहिए। भगवान को भाव के भूखे है।जो मन से उन्हें बुलाएगा, वे वहां चले आएंगे।
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