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प्रतापगढ़

चिकित्सालयों की हालत नहीं सही

 
जिले के चिकित्सा संस्थानों में पर्याप्त संसाधन तक नहींआकस्मिक निरीक्षण में सामने आई हकीकतपीपीपी मोड पर संचालित चिकित्सालयों में भी चिकित्सक नहींबिना चिकित्सक के चिकित्सालयों को आम जन की सेहत से खिलवाड़ बताया

प्रतापगढ़Sep 02, 2019 / 12:22 pm

Devishankar Suthar

चिकित्सालयों की हालत नहीं सही

चिकित्सालयों की हालत नहीं सही


प्रतापगढ़
जिले में चिकित्सालयों में संसाधनों की कमी और कर्मचारियों की कमी तो है। साथ ही यहां की व्यवस्थाएं भी सही नहीं है। ऐसे में इन चिकित्सालयों में मरीजों को पर्याप्त उपचार तक नहीं मिल पा रहा है। न्यायाधीश व उच्चाधिकारियों के हाल ही में किए गए निरीक्षण में यह सामने आया है। इसे लेकर न्यायिक अधिकारियों में कड़ी टिप्पणी के साथ उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है। हालत यह है कि पीपीपी मोड के चिकित्सालय भी बिना चिकित्सक के संचालित हो रहे है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मीकांत वैष्णव ने चिकित्सा विभाग की टीम के साथ चिकित्सालयों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि डॉक्टर के बिना अस्पताल नहीं चल सकता है। यदि बिना डॉक्टर के अस्पताल चल रहा है, तो वहां मिलने वाली चिकित्सकीय सेवाओं की गुणवत्ता संदेहास्पद है। यह मामला गंभीर ही नहीं बल्कि आमजन की सेहत के साथ खिलवाड़ है।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर एडीजे वैष्णव ने शनिवार को चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. एएन माथुर, सीएमएचओ डॉ. वीके जैन और आरसीएचओ डॉ. दीपक मीणा के साथ जिले की अचनेरा, रामपुरिया और आंबीरामा पीएचसी का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अचनेरा और रामपुरिया पर चिकित्सक मौजूद नहीं थे। चिकित्सकों की गैर मौजूदगी में ही नर्सिंग स्टाफ द्वारा ही गंभीर रोगियों को भी अटेंड करने की बात सामने आई। इधर अस्पताल में निरीक्षण की खबर पाकर काफी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए। ग्रामीणों ने एडीजे से कहा कि उनके अस्पताल में डॉक्टर कभी नहीं आता है। सभी अपना इलाज अस्पताल में मौजूद कर्मियों से ही करवाने को मजबूर है। इस पर एडीजे ने चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ माथुर और सीएमएचओ डॉ वीके जैन से पीपीपी मोड संचालित अस्पतालों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने के आदेश दिए। एडीजे ने कहा कि निरीक्षण में अचनेरा और रामपुरिया में स्थिति काफी खराब है। लोगों को जो स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए वे नहीं मिल पा रही है। पीएचसी होते हुए भी प्रसव नहीं कराए जा रहे है। उन्होंने कहा कि ये परिस्थितयां और मौके की हकीकत एक रोगी के इलाज पाने के अधिकारों का हनन है।
अचनेरा व रामपुरिया में हालत खराब
अचनेरा व रामपुरिया पीएचसी चित्रांश एजुकेशन सोसाएटी द्वारा संचालित है। बिना चिकित्सक के ही अस्पताल संचालित की जा रही थी। अस्पताल में सफई की स्थिति बेहद खराब थी। नर्सिंग कर्मियों द्वारा दिया जा रहा है उपचार भी संदेहास्पद था। अस्पताल में एक साल से कोई भी डिलीवरी नहीं हुई थी। लैब टेक्निशयन भी कार्यरत नहीं था। जिससे जरूरी जांचे नहीं हो रही थी। कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों में नियम और गुणवत्ता की पालना नहीं थी।
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एक डॉक्टर के भरोसे अरनोद सीएचसी
अरनोद
कस्बें के सामुदायक चिकित्सालय मे चार दिनों मे मरिजों की संख्या बढक़र दुगुनी हो गई है। ऐसे में एक चिकित्सक के भरोसे चिकित्सालय संचालित है। चिकित्सालय में 5 डॉक्टर के पद स्वीकृत है। लेकिन वर्तमान में एक पद ही भरा है। इस चिकित्सालय पर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नही है। जिसका खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं। बरसात के चलते मरीजों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। 5 दिन में चिकित्सालय में दोगुना मरीज हो गए है। मेल नर्स ही यहां चिकित्सा व्सवस्था संभाले हुए है। एक्स रे मशीन लगी है। मरीज के एक्स रे भी किया जाता, लेकिन एक्स-रे देखने वाली कोई नहीं है। मरीज की तबीयत ज्यादा खराब होने पर रैफर कर दिए जाते है। यहां तक की अभी मौसमी बीमारी चल रही है। यहां अभी मरीजों की संख्या ढाई सौ तक पहुंच गई है।

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