प्रतापगढ़ में रोमांचित करती है पूर्णशिला की चट्टानें
सुहागपुरा के पास जंगल में पूर्णशीला महादेव स्थल आज भी कई लोगों के लिए अनजानबहुत कम लोगों की हो पाती है पहुंचप्रतापगढ़. जिले के बांसवाड़ा रोड पर सुहागपुरा के निकट जंगल में पूर्णशीला नामक स्थान काफी मनोरम छंटा बिखेरने वाल है। यहां पहाड़ी पर विशालकाय पत्थर होने से रोमांच भरा है।पहाड़ पर चट्टानें इस प्रकार एक के ऊपर एक टीकी हुई है।
प्रतापगढ़ में रोमांचित करती है पूर्णशिला की चट्टानें
सुहागपुरा के पास जंगल में पूर्णशीला महादेव स्थल आज भी कई लोगों के लिए अनजान
बहुत कम लोगों की हो पाती है पहुंच
प्रतापगढ़. जिले के बांसवाड़ा रोड पर सुहागपुरा के निकट जंगल में पूर्णशीला नामक स्थान काफी मनोरम छंटा बिखेरने वाल है। यहां पहाड़ी पर विशालकाय पत्थर होने से रोमांच भरा है।पहाड़ पर चट्टानें इस प्रकार एक के ऊपर एक टीकी हुई है।
जैसे इन बड़े और विशालकाय पत्थरों को किसी ने रखा हुआ है। ऐसे में यह स्थान किसी रॉक गार्डन से कम नहीं है। एक के ऊपर एक विशालकाय पत्थर कई वर्षों से यहां देखे गए है। हालांकि यह स्थान जंगल में बीच में है, जहां कोई वाहन नहीं ले जाया जा सकता है।यहां पहुंचने के लिए पैदल ही जाना पड़ता है। करीअब ऐ किलोमीटर दूर वाहन रखे जाते है। ऐसे में यह स्थान अधिकांश लोगों के लिए अनजान ही बना हुआ है।
इस जंगल में बहुतायत है गुगल के पेड़
यहां आसपास जंगल में कई प्रकार की वनौषधियां भी पाईजाती है। जिसमें गुगल के पेड़ तो बहुतायत पाए जाते है।इसी प्रकार यहां अन्य औषधियां भी पाई जाती है।इन औषधियों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। लोगों की जानकारी में नहीं होने से यहां पर्यटन की असीम संभावना होते हुए भी यह स्थान उपेक्षित है। वहीं दूसरी ओर प्रशासन भी इस ओर कोई विषेष ध्यान नहीं दे पा रहा है।
शोध का विषय
पर्यटन और इतिहास की दृष्टि से यह शोध का विषय हो सकता है कि इतने विशाल पत्थर यहां इस कौतुहल रुप से कैसे टिके हुए है। इतने ऊंचे पहाड़ों पर इस प्रकार के विशालकाय पत्थर कहां से आए तथा इनको यहां किसने इस तरह से जमा कर एक के ऊपर एक रखा है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां विशालकाय पत्थर इस प्रकार जमे हुए है कि किसी ने इन्हें रखा हो।
विभिन्न आकार की है प्रस्तर शिलाएं
यहां कई आकार की शिलाएं है। इनमें विशालकाय गोल और विभिन्न आकार के पत्थर है।एक चट्टान तो उल्टी नाव के आकार की है।इसके नीचे ३०-४० लोग एक साथ आराम से बैठ सकते है। यहां कुछ चट्टानें तो विशालकाय है।चौकोर आकार की तीन चट्टानें एक-दूसरे के ऊपर इस प्रकार स्थित है कि ये शिलाएं किसी ने जमा रखी है।चट्टानों के मध्य में कई प्रकार के औषधीय वनस्पति भी उगी हुई है।
इतिहास से हो सकता है संबंध
इस पूर्णाशिला महादेव स्थल का इतिहास से काफी संबंध हो सकता है। यह स्थान जंगल के मध्य अवस्थित है। पुरातत्व विभाग को भी यहां जांच करनी चाहिए। जिससे यहां की पौराणिका महत्व का भी पता चल सके। ऐसे में यहां पर्यटक स्थल भी हो सकता है। इसके लिए सरकार और विभाग को प्रयास करने चाहिए।
मदन वैष्णव, इतिहासविद्, प्रतापगढ़
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