scriptतय समय कभी का निकला, लेकिन कई विकास कार्य अब भी आधे-अधूरे | The time has come for a fixed time, but many development works are sti | Patrika News
प्रतापगढ़

तय समय कभी का निकला, लेकिन कई विकास कार्य अब भी आधे-अधूरे

विकास कार्यो में देरी से लोगों को नहीं मिल पा रही सुविधाकार्य समय पर नहीं होने से हो रही परेशानी

प्रतापगढ़Jul 26, 2019 / 11:54 am

Devishankar Suthar

Pratapgarh

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विकास कार्यो में देरी से लोगों को नहीं मिल पा रही सुविधा
कार्य समय पर नहीं होने से हो रही परेशानी
प्रतापगढ़. इसे अनदेखी कहें, लापरवाही या लेटलतीफी। जिला मुख्यालय पर कई विकास कार्य इतनी धीमी गति से चल रहे हैं कि तय अवधि बीते लम्बा समय बीत जाने के बाद भी वे अब तक अधूरे पड़े हैं।
आलम यह है कि जो कार्य चार-पांच माह में पूर्ण होने थे, वे चार-पांच वर्षों के बाद अब तक पूर्ण नहीं हो पाए हंै। ऐसे में जहां लेटलतीफी के चलते लोगों को विकास कार्यो की सुविधा नहीं मिल पा रही है वहीं कई कार्यो में देरी के कारण तो शहर के लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।
शहर में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए २०१५-१६ में ९४ करोड़ की पुनर्गठन पेयजल योजना का कार्य ८ फरवरी २०१६ को कार्य शुरू किया गया था जिसे ७ फरवरी २०१८ को पूर्ण होना था लेकिन कार्य की धीमी गति के कारण आज तक कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। योजना के तहत पुरानी लाइन के बदले नई पाइप लाइन डालने, व घरों में नए कनेक्शन दिए गए है। वहीं योजना के तहत जाखम बांध से शहर तक २८ किलोमीटर नई पाइप लाइन बिछाई गई है। साथ ही शहर में ६ नई पानी की टंकियां बनाई गई है। योजना के तहत ही शहर के बगवास में फिल्टर प्लांट का निमार्ण कार्य भी किया गया। हालांकि अब भी योजना के कई कार्य बाकी पड़े हुए है। इस योजना के तहत पाइप लाइन डालने के लिए सडक़ों को खोदा गया। योजना में देरी से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
नगरपरिषद की ओर से राजीव आवास योजना के तहत धरियावद रोड पर बनाए गए आवास अब तक खाली पड़े हुए हैं। करीब ५ वर्ष पूर्व कच्ची बस्तियों के वाशिंदों को यहां बसाने के लिए राजीव आवास योजना की घोषणा के बाद यहां जुलाई २०१५ को काम शुरू हुआ और अक्टूबर २०१६ को ३६० मकानों का कार्य पूरा हो गया, लेकिन लम्बे समय तक ना तो मकान नगरपरिषद को हैंडओवर हुए और ना ही परिषद की ओर से कच्ची बस्ती वालों को इन्हें आवंटन किया जा सका। काफी समय बाद मकान आवंटित हुए लेकिन अब तक ये खाली ही पड़े हुए हैं। जिसके चलते इन्हें बनाने का उददेश्य अब तक पूरा नहीं हो सका है।
शहर में करीब पांच वर्षों पहले जगी तरणताल की उम्मीद अब तक परवान नहीं चढ़ पाई है। शहर में जनवरी २०१५ में तरणताल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और योजना के मुताबिक यह चार माह में बनकर तैयार होना था। इसके बाद लगातार कई बार काम बंद-चालु होता रहा लेकिन पांच वर्ष होने के बाद आज तक कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। इस तरणताल में करीब ९५ लाख रूपए खर्च होंगे। तरणताल में ६ लाख ९६ हजार लीटर पानी भरने की क्षमता है। तरणताल में ३.५० से लेकर ५.५ फीट तक की गहराई रहेगी। तरणताल को लेकर नगरपरिषद के आयुक्त से बात करना चाही तो कोई जबाव नहीं दिया गया। हालांकि सूत्रों के अनुसार अगली गर्मी में शहरवासियों को तरणताल की सुविधा मिल सकती हैं।
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में करीब तीन वर्ष पहले बना ऑडिटोरियम मात्र एक भवन बन कर रह गया है। तीन वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद अब तक ऑडिटारियम में जरूरी संसाधन नहीं है। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की अेार से ऑडिटोरियम का निर्माण सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से किया गया है। एक करोड़ ६० लाख रूपए की लागत वाले ७ हजार ५०० हजार वर्गफीट में बने ऑडिटोरियम की लम्बाई १५० फीट और चौड़ाई ५० फीट है। जिसमें करीब ४२५ लोग एक साथ बैठ सकते है। ऑडिटोरियम में कुर्सिया, साउंड सिस्टम, प्रोजेक्टर सहित कई अन्य जरूरी संसाधन ही नहीं है और यह खाली पड़ा हुआ है।कोई भी कार्यक्रम करवाया जाता है तो अन्य खर्च पर यह संसाधन लगवा आयोजन करना पड़ता है।
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