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प्रतापगढ़

जनजाति खेलकूद सम्पन्न, प्रतापगढ रहा चैम्पियन

– एथलिटक्स, कबड्डी में हमारा जिला चैम्पियन

प्रतापगढ़Sep 13, 2018 / 10:10 am

Rakesh Verma

pratapgarh

जनजाति खेलकूद सम्पन्न, प्रतापगढ रहा चैम्पियन

प्रतापगढ़. यहां गत तीन दिना से चल रही राज्य स्तरीय चतुर्थ जनजाति खेलकूद प्रतियोगिता का बुधवार को समापन हो गया। यहां आयोजित खेलों में कबड्डी औैर एथलेटिक्स में प्रतापगढ़ के बालक, बालिका और आश्रम छात्रावासों के खिलाडिय़ों ने अपना दमखम दिखाया और चैम्पियनशिप जीत ली।
प्रतियोगिता के 100मीटर में प्रतापगढ़ खेलछात्रावास के नानूराम मीणा, जगगदीश मीणा 400 मीटर में प्रथम एवं कांतिलाल मीणा 1500 मीटर द्वितीय स्थान प्राप्त कर अव्वल रहे। इसी तरह 200 मीटर एवं 400 मीटर में गोल्ड पदक हासिल खेल छात्रावास बालिका की पूजा मीणा 100 मीटर, मंशा मीणा 800 मीटर, रक्षाकुमारी मीणा 1500 मीटर, कमला मीणा लम्बी कूद में प्रथम, देवाकुमारी मीणा लम्बी कूद में प्रथम करते हुए कबड्डी में भी बालक एवं बालिकाओं ने अपना वर्चस्व कायम रखते हुए दोनों प्रतियोगिता की चैम्पियनशिप अपने नाम की। ऊंची कूद में भी खेल छात्रावास बालक प्रथम रहा। वही तीरंदाजी के 30 मीटर के रिकर्व राउण्ड में नानाका मीणा, 30 एवं 50 मीटर के इंडियन राउण्ड में गोर्धनलाल मीणा द्वितीय रहे। तीरंदाजी के बालिका वर्ग के 30 एवं 50 मीटर में अंजली एवं तारा मीणा खेलअकादमी बालिका प्रतापगगढ़ ने संतोषजनक प्रदर्शन किया।
भाई-बहन को पड़ी डांट सफल हो गई, जोड़ी ने किया कमाल
खेल अकादमी की 12वीं कक्षा की छात्रा पूजा मीणा सेवना एवं उसका भाई जगदीश मीणा जो खेल छात्रावास में 11 वीं कक्षा में अध्ययनरत है, दोनों भाई बहन ने अपनी अपनी प्रतियोगिता में पूरा दमखम लगाते हुए 100 मीटर 400 मीटर एवं 400 मीटर रिले दौड़ में प्रथम रहते हुए गोल्ड पदक हासिल किया। दोनों भाई बहनों का सपना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना प्रदर्शन कर जिले का नाम रोशन करें। खेती कर गुजर बसर कर रहे परिवार के दोनों भाई -बहन अपने माता पिता के सपने को साकार करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय कोच हररतन डामोर, बंशीलाल मीणा, वार्डन नीरज मीणा, बद्रीलाल मीणा को दिया। पूजा और जगदीश का कहना है कि अभ्यास के दोरान कोच और वार्डन की डांट आज सफल हो गई।

हॉकी के गिरते स्तर की नहीं की थी कल्पना : अशोक ध्यानचन्द
– प्रतापगढ़ आए हॉकी जादूगर ध्यानचंद के पुत्र से विशेष बातचीत
प्रतापगढ़.हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द्र के पुत्र पद्मश्री अलंकृत और एवं 1975 में ओलंपिक्स में भारतीय हॉकी दल के कप्तान रहे अशोक ध्यानचन्द ने कहा कि आठ बार ओलम्पिक चैम्पियन रह चुके भारत में हॉकी का स्तर इतना गिर जाएगा, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि हॉकी फिर से अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगा। वे यहां जनजाति विभाग की ओर से आयोजित चतुर्थ जनजाति राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के समापन पर विशिष्ट अतिथि के रूप प्रतापगढ़ आए थे। इस मौके पर पत्रिका से विशेष बातचीत में उन्होंने भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी के गिरते स्तर एवं क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता बारे में खुलकर बात की। यहां पेश है बातचीत के प्रमुख अंश –
क्या कारण है कि विश्व पटल पर हॉकी नदारद हो रही है?
अशोक ध्यानचन्द: विशेष कारण तो कुछ भी नहीं। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है और रहेगा। हॉकी एक मेहनत भरा दिमागी खेल है। चौकस निगाहें, पैनापन, सटीक निशाना ये सब एकाग्रता पर निर्भर करता है। आज की युवा पीढ़ी में ये सब देखने को नहीं मिलता। सत्तर मिनट के खेल में 7 घंटे की मशक्कत के बराबर होता है। इसमें पैसा और प्रयोजकों की कमी है।
आपकी नजर में जिम्मेदार कौन?
अशोक ध्यानचन्द: हम सभी! हां हम सभी इसके लिए जिम्मेदार है। हम हमारे राष्ट्रीय खेल हॉकी से विमुख होकर क्रिकेट की ओर अग्रसर हो रहे हंै। क्रिकेट को लेकर प्रायोजक हरदम तैयार होते है। जबकि हॉकी के लिए प्रायोजक तलाशने पड़ रहे हैं।
क्या सरकार की भी जिम्मेदार है?
अशोकध्यानचंद: मुस्कुराते हुए …..हां में सिर हिला दिया।
हॉकी को बढ़ाने के लिए क्या कर सकते है?
अशोकध्यानचंद: हॉकी हमारे देश का राष्ट्रीय खेल है और रहेगा इसके कोई शक नहीं है। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर ही नहीं जिला स्तर पर भी हॉकी खेल के लिए सुव्यवस्थित मैदान, संसाधन बेहतर प्रशिक्षक उपलब्ध कराया जाए। बच्चों में हॉकी के स्वर्णिम दौर के बारे में बताया जाए। उनमें इस खेल के प्रति रूचि पैदा की जाए।
सरकार को क्या करना चाहिए?
अशोक ध्यानचंद: स्कूली शिक्षा से ही बच्चों को हॉकी खेल के बारे में जागृति पैदा की जाए। इसके लिए सबसे जरुरी है कि स्कूलों में मैदान और संसाधन उपलब्ध कराए।
वर्तमान में हॉकी की स्थिति?
अशोकध्यानचंद: वर्तमान में हॉकी की स्थिति बेहतर है। और आगे भी बेहतर होगी। आज भारत की हॉकी टीम एशियाई देशों में पुन: अपना दबदबा बनाने में सफल हुई है। वह दिन भी दूर नहीं, जब ओलपिंक में भी अपना डंका बजेगा। देश में एक बार फिर हॉकी का वही स्वर्णिम दौर आएगा। अब देख लो आपके प्रतापगढ़ में भी अत्याधुनिक हॉकी मैदान की तैयारी होने वाली है। उन्हीं संभावनों की तलाश की जा रही है।
बच्चों के लिए संदेश?
खेलों के जरिए भी करियर बनाया जा सकता है। हां पढ़ाई भी जरूरी है। गेम्स कोई भी बुरे नहीं होते। लेकिन अपने राष्ट्रीय खेल से भी उतना ही प्यार करो।

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