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प्रतापगढ़

कामगार हुए बेरोजगार, दुकानदारों पर चोतरफा मार, लॉकडाउन के चलते काफी दिनों से बंद हैं दुकानें

मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का मंडरा रहा खतरा
 

प्रतापगढ़May 13, 2020 / 08:50 am

Hitesh Upadhyay

कामगार हुए बेरोजगार, दुकानदारों पर चोतरफा मार, लॉकडाउन के चलते काफी दिनों से बंद हैं दुकानें

कामगार हुए बेरोजगार, दुकानदारों पर चोतरफा मार, लॉकडाउन के चलते काफी दिनों से बंद हैं दुकानें

प्रतापगढ़. जिले में 21 मार्च से कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर लॉकडाउन लागू है। जिसके चलते व्यापारियों की दुकानें बंद होने से जहां जिले में करोड़ों रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है। दुकानदारों को दुकाने बंद होने से आय नहीं हुई वहीं अब कई खर्चे मुंह उठाए खड़े हैं। ऐसे में दुकानदारों पर चोतरफ मार पड़ रही है। वहीं इन दुकानों पर दैनिक व मासिक वेतन पर काम करने वाले सैकड़ों कामगारों पर भी रोजी-रोटी का खतरा मंडराने लगा है। कोरोना के संकटकाल में न तो इन्हें मजदूरी मिल रही है और न ही कोई दूसरा काम। जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।
छूट में भी राहत नहीं: प्रशासन द्वारा जरूरी सेवाओं की आपूर्ति के लिए आवश्यक सेवाओं में ढील देने पर पिछले सप्ताह से कुछ दुकानें खुल गई हैं, लेकिन बाजारों में कोरोना की मंदी एवं दुकानों के खुलने की अनिश्चितता की वजह से कई दुकानदार उन कर्मचारियों से काम नहीं ले रहे हैं। अनेक कर्मचारी तो ऐसे हैं जिन्हें मार्च माह तक का वेतन नहीं मिला है। दुकानें बंद होने व नौकरी जाने के डर से वे दुकान मालिकों से वेतन की मांग नहीं कर पा रहे हैं। दुकान पर काम करने वाले जगदीश शर्मा, मोनू अहिरवार, राजेश ने बताया कि डेढ माह से दुकान बंद होने से घर पर बैठे हैं। दुकान कब तक बंद रहेगी कुछ भी नही पता है। ऐसे सैकड़ों कर्मचारी हैं जो काम नहीं होने से घर पर बैठे हैं। दुकानों को खोलने की छूट मिली है लेकिन इन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में ये बेरोजगारी का दंश झेलने पर मजबूर हैं।
दुकानदारों की टूटी हुई कमर: लॉकडाउन से बंद दुकानदारों की समस्याएं कम होने बजाए बढ़ती जा रही हैं। पहले दुकानें बंद रहने से आय नहीं हुई। अब मासिक किराया, बिजली बिल, लेबर खर्च से लेकर अनेक खर्च हैं। उससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दुकानों पर रखे सामानों की एक्सपायरी डेट आने से खराब होने की स्थिति में है। ऐसे में दुकानदारों पर चोतरफा मार पड़ रही है और उनकी कमर टूटी हुई है। उन्हें समझ नहीं आ रहा की कैसे इस मंदी से निबटा जाए।
असंगठित कामगार सरकार को नहीं बता पा रहे समस्या
कपड़ा, चाय-नाश्ता, होटलों, सर्राफा, ऑटोमोबाईल्स, सौंदर्य प्रसाधन, बर्तन, अनाज सहित अनेक दुकानों पर काम करने वाला कर्मचारी वर्ग गरीबी व मध्यम वर्ग से आता है। जो दुकानों पर काम करके अपना व अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करता है। ऐसे में डेढ़ माह से दुकानें बंद होने से उनकी जिंदगी पर खासा असर हुआ है। असंगठित क्षेत्र से आने के कारण यह कर्मचारी अपनी समस्याओं को प्रशासन के सामने भी नहीं रख पा रहे हैं।
तीन गुना हुए सब्जी-फल विक्रेता
आर्थिक रूप से परेशान होकर लोग दूसरा काम करने लगे हैं। इनमें से कई लोग तो सब्जी- फलों का ठेला लगाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। जिसके चलते देखते ही देखते शहर में सब्जी व फल विक्रेताओं की संख्या तीन गुना हो गई है। लॉकडाउन के कारण चाट-पकौड़ी, आइसक्रीम, सहित अन्य खाद्य पदार्थों की ब्रिकी पर प्रतिबंध होने एवं अन्य कामकाज बंद होने के कारण अनेक छोटे व्यापारी सब्जी-फलों का ठेला लगाकर अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके चलते बाजारों में इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन इन सबके बाद भी अनेक ऐसे भी लोग हैं जिनका व्यापार, कामकाज छिन जाने से परेशान हैं।

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