यह हाल है जिले का। शिक्षा का हाल जानने निकली पत्रिका की टीम ने नगर के दहिला मऊ और ग्रामीण क्षेत्र के कुछ विद्यालयों का दौरा किया। जहां अध्यापक कक्षा में बच्चों को पढ़ा रहे थे। टीम ने बच्चों से पाठ्यक्रम से संबंधित कुछ हल्के सवाल किए, जिन्हें बताने में वह नाकाम रहे। बच्चे शिक्षकों का नाम तक नहीं बता पाए। बच्चों से राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री के नाम पूछे तो एक भी बच्चा नहीं बता पाया। सामान्य ज्ञान की कमजोर नींव की हैरानी में शिक्षकों से भी यही सवाल दोहराए गए। चौंकानेवाली बात यह थी कि बच्चे तो ठहरे बच्चे, अध्यापकों की स्थिति और निराशाजनक निकली। आसान से इन सवालों के जवाब अध्यापक भी नहीं दे पाए। जिस जिले के विद्यालय में अध्यापक पढ़ा रहे हैं, उस जिले के जिलाधिकारी का नाम भी इन्हें नहीं पता। और तो और शिक्षक वह पाठ्यक्रम भी नहीं बता पाए, जिसका ज्ञान उन्हें कल का भविष्य कहे जानेवाले बच्चों को देना है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस तरह के शिक्षक बच्चों को किस तरह की शिक्षा देंगे।
ऐसे कैसे संवरेगा भविष्य प्रतिस्पर्धा के इस युग में एक तरफ जहां प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चों को भविष्य की चुनौतियों से जूझने के लिए तैयार रहने लायक शिक्षा दिलाने पर विशेष ध्यान दे रहा है, वहीं इस जिम्मेदारी को वहन कर रहे शिक्षकों के संबंध में सामने आया यह सच चौंकाने वाला है। ऐसे बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने पर जोर दे रही है, ऐसे में इस तरह के अध्यापक बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों से प्रतिक्रिया के लिए संपर्क करने की कोशिश की जाएगी, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
By : Sunil Somvanshi