यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने जगवीर की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि दर्ज़ एफ आई आर की विवेचना कर पुलिस ने अपराध की विभिन्न धाराओं में चार्जशीट दाखिल की।जिसपर मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए सम्मन जारी किया।याची अभियुक्त ने अर्जी दी कि धारा 308 का अपराध नहीं बनता। इसलिए इस धारा में लिया गया संज्ञान वापस लिया जाए। मजिस्ट्रेट ने अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि पुनर्विचार का उसे अधिकार नहीं है। इसके खिलाफ सत्र अदालत ने भी अर्जी खारिज कर दी।जिसपर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
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