अदालत भवनों व न्यायिक अधिकारियों की भारी कमी को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले, न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ कर रही है। राज्य के मुख्य सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि 610 न्यायिक अधिकारियों की भर्ती की जा रही है। 371 कोर्ट रूम का निर्माण किया जा रहा है जो जून 19 तक तैयार हो जायेंगे। शेष 646 कोर्ट रूम बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। जून 2020 तक बजट मिलने पर निर्माण कराया जा सकेगा। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जज होंगे, कोर्ट नहीं होगी, क्या सरकार बिना काम लिये जजों को तनख्वाह देगी।
सरकार के अपर महाधिवक्ता का कहना था कि कोर्टों के निर्माण आदि के खर्च केन्द्र व राज्य सरकारें संयुक्त रूप से वहन करती है। 100 में से केन्द्र 60 फीसदी धन मुहैया कराता है। 40 फीसदी धन सरकार लगाकर कार्य पूरा करती है। इस पर कोर्ट ने पूछा है कि जनता को न्याय दिलाने के लिए न्याय व्यवस्था करना राज्य का दायित्व नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अभी तक 1181 ने कोर्टों की जरूरत है। 371 बनने के बाद 810 कोर्ट बनान बाकी रहेगा।
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि किराये पर कोर्ट रूम व रिहायशी व्यवस्था की जाए और स्टाफ दिये जाए ताकि जुलाई 19 से 3300 न्यायिक अधिकारी न्यायिक कार्य कर सके। कोर्ट ने सरकार से ठोस प्रस्ताव मांगा है। कोर्ट के निर्देश पर आयोग के सचिव, प्रमुख सचिव न्याय व प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग व महानिबंधक कोर्ट में मौजूद थे।
By Court Correspondence