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इलाहाबाद हाईकोर्ट: जीएसटी एक्ट की धारा 7 वैध करार, संवैधानिक वैधता की चुनौती याचिका खारिज

कोर्ट ने कहा माल व सेवा की आपूर्ति दोनों विक्री में शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि याची के नैसर्गिक न्याय के अधिकारों का हनन नहीं किया गया है।उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया गया है। कोर्ट ने कहा याची चाहे तो असेसमेंट आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मेसर्स पैन फ्रैगरेंस प्रा लि कंपनी की याचिका पर दिया है।

प्रयागराजJun 19, 2022 / 03:50 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट: जीएसटी एक्ट की धारा 7 वैध करार, संवैधानिक वैधता की चुनौती याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट: जीएसटी एक्ट की धारा 7 वैध करार, संवैधानिक वैधता की चुनौती याचिका खारिज

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जी एस टी कानून की धारा 7को संवैधानिक करार दिया है और इसकी वैज्ञानिकता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि संसद , विधानसभा को अनुच्छेद 246(ए )के अंतर्गत कानून बनाने का अधिकार है। कानून जब तक अतार्किक या मनमाना न हो कोर्ट को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा माल व सेवा की आपूर्ति दोनों विक्री में शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि याची के नैसर्गिक न्याय के अधिकारों का हनन नहीं किया गया है।उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया गया है। कोर्ट ने कहा याची चाहे तो असेसमेंट आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मेसर्स पैन फ्रैगरेंस प्रा लि कंपनी की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पूजा तलवार,अपर सालिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह, अधिवक्ता भारत सरकार संजय ओम ,अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी व स्थाई अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाह ने बहस की।
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याची का कहना था कि माल की आपूर्ति विक्रय नहीं है। इसलिए टैक्स के दायरे में नहीं आती। इसलिए जी एस टी कानून की धारा 7 को संविधान के अनुच्छेद 246ए के विरुद्ध होने के कारण असंवैधानिक करार दिया जाय। सरकार की तरफ से कहा गया कि धारा 7वैधानिक है।विधायिका को कानून बनाने का अधिकार है। इससे किसी के मूल अधिकारों का उल्लघंन नहीं होता। कोर्ट ने कहा सरकार को कानून बनाने का अधिकार है।धारा 7असंवैधानिक नहीं है।
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