यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मेसर्स पैन फ्रैगरेंस प्रा लि कंपनी की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पूजा तलवार,अपर सालिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह, अधिवक्ता भारत सरकार संजय ओम ,अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी व स्थाई अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाह ने बहस की।
याची का कहना था कि माल की आपूर्ति विक्रय नहीं है। इसलिए टैक्स के दायरे में नहीं आती। इसलिए जी एस टी कानून की धारा 7 को संविधान के अनुच्छेद 246ए के विरुद्ध होने के कारण असंवैधानिक करार दिया जाय। सरकार की तरफ से कहा गया कि धारा 7वैधानिक है।विधायिका को कानून बनाने का अधिकार है। इससे किसी के मूल अधिकारों का उल्लघंन नहीं होता। कोर्ट ने कहा सरकार को कानून बनाने का अधिकार है।धारा 7असंवैधानिक नहीं है।