मेरे परिवार से कोई नही होगा प्रत्याशी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के इस्तीफे के बाद खाली हुई फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव को लेकर नए नए समीकरण और नई चर्चा आये दिन सामने आ रही हैं। बीते दिनों जहां शहर की सड़कों को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ उनके बेटे की होर्डिंग लगाकर यह संदेश देने की कोशिश की गई।भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता का बेटा सियासी मैदान में कूदने को तैयार है। वही एकओर जहाँ भाजपा देश के पटल पर वंशवाद का विरोध कर रही है। तो वही मोदी लहर में प्रचंड बहुमत वाली भाजपा सरकार के डिप्टी सीएम पुत्रमोह से अलग नही हो पा रहे है। इन सारे विवादों के बीच बीती आधी रात केशव प्रसाद मौर्य ने अपने परिवार से किसी को भी चुनाव न लड़ने की बात कही।
मै कार्यकर्ता वादी हूं अफवाह ना फैलाए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या सोशल साइट के जरिए बताया कि फूलपुर के उप लोकसभा चुनाव में उनके परिवार का कोई भी प्रत्याशी नहीं होगा।और ना ही कोई चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी है। उन्होंने लिखा है की मै पवारवादी नहीं हूं।मै कार्यकर्ता वादी हूं। और संगठन जिसे चाहेगा उसे इस सीट पर दावेदार बनाएगा।साथ ही अपनी दूसरी पोस्ट में सख्त लहजे लिखा की अफवाहों को फैलाना बंद करें। और समय का इंतजार करें संगठन सशक्त और सक्रिय कार्यकर्ता को अपना चेहरा बनाएगा।
फूलपुर भाजपा के लिये महत्वपूर्ण बता दें कि यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अगर केशव प्रसाद मौर्या यह सीट भाजपा हारती है। तो विरोधियों के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा मिलेगा।और जिले सूबे के साथ सनाग्म नगरी में हिंदुत्व के मुद्दे को बड़ा झटका लगेगा। उसकी बड़ी वजह यह है की केशव प्रसाद मौर्या विश्व हिन्दू परिषद के प्रचारक और विहिप के संस्थापक अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल के करीबियों में भी गिने जाते है।और उनकी हार से जिले ही नही बल्कि प्रदेश में बड़े नुकसान संभावना है।और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत के उस नारे के साथ राष्ट्रीय कार्यकारिणी कर नेहरू की धरती से काग्रेस मुक्त नारा देने वाले नरेंद्र मोदी के लिए बड़ा राजनीतिक झटका होगा