मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने पत्रिका से बात करते हुए बताया कि 3200 हेक्टेयर में बसाए गए कुंभ मेले के उजड़ने के बाद भी संगम के सर्कुलेटिंग एरिया और परेड ग्राउंड में 7 हज़ार एलईडी फिटिंग चमकती रहेंगी। कुंभ के लिए निर्मित 22 पांटून पुलों में से संगम नोज़ के पास पांटून पुल संख्या एक, दो और अट्ठारह यानी तीन पांटून पुल बने रहेंगे । स्वच्छ्ता की मिसाल बने कुंभ के बाद भी संगम क्षेत्र में ढाई हजार शौचालय और यूरिनल कायम रहेंगे, इस व्यवस्था को बनाये रखने के लिए 200 सफाई कर्मी भी तैनात रहेंगे।
संगम नोज़ और उसके पास के चार घाट दुरुस्त बने रहेंगे ताकि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को स्नान में कोई दिक्कत न हो, महिलाओं के लिए बनाए चेंजिग रूम कायम रहेंगे। इसके अलावा संगम लोअर मार्ग की चकर्ड प्लेट काली सड़क तक और झूंसी की ओर संगम अपर मार्ग की चकर्ड प्लेट भी बिछी रहेंगी, ये रास्ते चालू रहेंगे ।
संगम तट पर अकबर के किले में कैद अक्षयवट और सरस्वती कूप को साढ़े चार सौ साल बाद इस कुंभ मेले से आम लोगों के लिए खोलने का ऐतिहासिक फैसला किया गया इस लिहाज से सरकार की योजना प्रयागराज के संगम को पर्यटन के क्षेत्र में विश्व मे पहचान दिलाने की रही । लिहाजा प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को भी चाक चौबंद करने में सफल रहा। अब इसे वर्ष के ग्यारह माह तक श्रद्धालुओ के लिए खोला जाएगा। संगम क्षेत्र मे एक थाना स्थापित करने के साथ संगम, महावीर जी, अक्षयवट और जल पुलिस सहित कुल 4 चौकियां भी स्थापित की जा रही है। यहां चौकसी के लिए पुलिस की एक फोर व्हीलर, 3 बाइक सवार टीम भी गश्त करती नज़र आएंगी। संगम क्षेत्र मे एक फायर स्टेशन, रेडियो स्टेशन स्थापित करने का फैसला किया गया है। अब संगम क्षेत्र को अपना एक सीओ और एक एएसपी भी मिलने जा रहा है ।
प्रयागराज मेला प्राधिकरण के गठन के बाद अब उम्मीद है कि 12 साल में लगने वाले कुंभ, 6 साल में अर्धकुंभ और हर साल के माघ मेले के लिए की जाने वाली व्यवस्था की कार्ययोजना को अमली जामा पहनाने में मुश्किल नही होगी,मेला ।प्राधिकरण ने संगम क्षेत्र के अलावा आसपास के 30 गांव को अपने परिक्षेत्र में शामिल किया है। जिसके बाद अब हम कह सकते है कि कुंभ के बाद वैभव दिखती रहेगी।