जानें क्या है पुरानी मान्यता यह भी कहा जाता है कि जब लंका विजय करने के बाद हनुमानजी को थकान लगी तो प्रयाग की धरती संगम किनारे विश्राम के लिए लेटे थे, तब से लेकर आज तक मां गंगा हनुमानजी को साल में एक बार स्नान कराती हैं। जिस वर्ष यह नहीं होता है उस वर्ष को अमंगल माना जाता है। गंगा मईया के इस विकराल रूप को देखने के लिए भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। गुरुवार शाम गंगा मईया लेटे हनुमानजी का दर्शन करने के लिए हनुमान मंदिर द्वार पर पहुंच गई हैं।
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