इलाहाबाद.अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए मीडिया में बीजेपी को काउंटर करने के लिये अपने पैनलिस्ट की फौज उतार दी है। नए प्रवक्ताओं की सपा की ओर से लिस्ट जारी की गयी है, जिसमें 24 पैनलिस्टों के नाम हैं। इनमें से जहां पंखुड़ी पाठक जैसी चर्चित प्रवक्ता को जगह नहीं दी गयी है तो वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनीं सपा नेता रिचा सिंह को फिर से प्रवक्ता बनाया गया है। रिचा सिंह की जिम्मेदारी बरकरार रखने का फैसला उनकी परफॉर्मेंस को लेकर मिले फीडबैक के बाद किया गया है। सप ने रिचा सिंह को इलाहाबद में शहर पश्चिमी से विधानसभा चुनाव भी लड़वाया था।
रिचा सिंह तब चर्चा में आयी थीं जब वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रसंघ अध्यक्ष थीं और उन्होंने विरोध कर अब के मुख्यमंत्री और तब के बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ को विश्वविद्यालय में कार्यक्रम में भाग लेने से रोक दिया था। एबीवीपी ने इस मामले को लेकर रिचा सिंह का विरोध भी किया था। इस कदम के बाद तो रिचा सिंह सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गयी।
रिचा सिंह IMAGE CREDIT: रिचा सिंह शुरू से ही समाजवादी पार्टी की समर्थक रहीं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का चुनाव निर्दलीय जीता, पर उन्हें सपा का समर्थन हासिल था। इस जीत के बाद उनका झुकाव लगातार सपा की ओर होता चला गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से सम्मानित किया। यही नहीं रिचा की ओर से छात्र-छात्राओं के लिये बस सेवा की मांग को भी स्वीकृति दे दी गयी। सपा नेताओं ने भी रिचा के इस काम की सराहना की।
इसके बाद रिचा सिंह ने खुद लखनऊ जाकर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया। रिचा को अखिलेश यादव ने इलाहाबाद शहर पश्चिमी से बीजेपी के सिद्धार्थनाथ सिंह और बसपा की पूजा पाल के खिलाफ टिकट देकर विधानसभा चुनाव लड़ाया। हालांकि रिचा सिंह इस चुनाव में हार गयीं, बावजूद इसके अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के बाद रिचा सिंह को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए सपा के प्रवक्ताओं की लिस्ट में जगह दी। अब 2019 के पहले जब परफॉर्मेंस और फीडबैक के आधार पर जिम्मेदारियां बदली जा रही थीं तो एक बार फिर सपा ने रिचा सिंह पर भरोसा जताते हुए उनका पद बरबरार रखा है।
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