प्रयागराज

इस वजह से हर चालीस सेकेण्ड में हो रही एक व्यक्ति की मौत, अब शुरू हुई ये मुहीम

इन चीजों से लोगों को रहना होगा सतर्क नही तो बढ़ेगी मुश्किल

प्रयागराजOct 12, 2019 / 06:19 pm

प्रसून पांडे

इस वजह से हर चालीस सेकेण्ड में हो रही एक व्यक्ति की मौत, अब शुरू हुई ये मुहीम

प्रयागराज | राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत शनिवार को मानव श्रृंखला बनाकर लोगों को मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुक किया गया। नर्सिंग की छात्राओं ने एक मानव श्रृंखला बनाकर लोगों को मानसिक रुप से स्वस्थ्य रहने के लिए जागरुकता का संदेश दिया। सीएमओ दफ्तर से बेली अस्पताल तक बनायी गई मानव श्रृंखला का उद्देश्य लोगों में बढ़ रहे अवसाद के चलते आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना था। मुख्यचिकित्साधिकारी ने बताया की आंकड़ों के मुताबिक भारत वर्ष में प्रति चालीस सेकेण्ड में एक ब्यक्ति की मौत आत्महत्या से हो जाती है।

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जबकि देश में गैर संचारी बीमारियों की वजह से 63 फीसदी मौतें हो रही हैं। मनोचिकित्सकों के मुताबिक मौजूदा समय में हर उम्र के लोग अपेक्षायें पूरी न होने पर अवसाद में चले जाते हैं। बाद में आत्म हत्या जैसे आत्मघाती कदम भी उठा लेतें हैं। इसको रोकने के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रयागराज जिले के मंडलीय चिकित्सालय मोती लाल नेहरु चिकित्सालय में देश का पहला मोबाइल नशा मुक्ति केन्द्र भी खोला गया है। जिसके तर्ज पर ही अब पूरे देश में ऐसे केन्द्रों की स्थापना हो रही है। 13 अक्टबूर के बीच आयोजित किए गए मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह का भी इसी कार्यक्रम के साथ समापन भी हो गया।


राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित की जाती है। इस बार थीम टूगेदर टू प्रिवेंट ऑफ़ सुसाईडश के रूप में मनाया जा रहा हैं । पूरे सप्ताह के दौरान लोगो को जागरूक करने के लिए रैलीए संगोष्ठी, कैम्प, शिविर के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी जी एस बाजपेयी ने मानव श्रृंखला के दौरान लोगों में बढ़ रही मानसिक बीमारियों और उनसे बचने का उपाय बताय । मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस दौर में खासकर युवा वर्ग में किसी न किसी चीज को लेकर कुंठा व्याप्त हो जाती है। जो आत्महत्या का कारण बनता है। हमें इसी सोच से बचना है और अपने आसपास रहने वाले लोगों को भी बचना है। समाज में फैल रही बीमारी को रोकने के लिए अब हम लोग स्कूल कॉलेजों में भी जाकर वहां के बच्चों को इसके प्रति जागरूक करेंगे।

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