कोचिंग पढ़ाकर निकालती हैं अपना खर्च प्रयागराज के सलोरी में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। आर्थिक रूप से परिवार से कमजोर होने की वजह से वह सलोरी में ही बच्चों को कोचिंग पढ़ाकर अपना खर्च निकलती थी। बीएड प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करने पर उन्होंने कहा कि आगे वह पीसीएस अधिकारी बनकर परिवार का सपना पूरा करना चाहती हूं।
परिवार पर नहीं बनना चाहती हैं बोझ मीडिया से बात करते हुए रागिनी यादव ने कहा कि परिवार के अर्थिल रूप बोझ न बने इसीलिए तैयारी करने के साथ बच्चों को कोचिंग देती हूं। कोचिंग पढ़ाने से मिलने वाले पैसे से अपना खर्च चलाती हूँ। बताया कि पिता रामबली यादव दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। परिवार में दो छोटे भाई भी हैं ऐसे में उनकी पढ़ाई पर भी काफी खर्च होता है। पिता पर ज्यादा आर्थिक भार न पड़े इसके लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के साथ ही सीबीएसई के बच्चों को ट्यूशन करना शुरू कर दिया। रागिनी यादव ने कहा कि मां उत्तम लली यादव और पिता रामबली यादव ने लगातार उत्साहवर्धन किया। माता-पिता उनको पीसीएस अधिकारी बनते देखना चाहते हैं और यह सपना पूरा करना ही उनका लक्ष्य है। इसके लिए कड़ी मेहनत करूँगी और आगे पीसीएस अधिकारी बनकर देश सेवा करूँगी।
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