महिला वर्ग में श्यामली सिंह वेस्ट बंगाल की रहने वाली है उन्होंने पहला स्थान हासिल किया है। पहली बार इंदिरा मैराथन में भाग लिया है श्यामली सिंह ने कहा मैं अपनी जीत का श्रेय अपने पति को देती हूं जिन्होंने मुझे पूरा सहयोग दिया । कहा कि मैं एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं जहां सरकार का सहयोग है और ना ही किसी दूसरे व्यक्ति का उन्होंने कहा कि मैं अपनी मेहनत से यहां तक पहुंची हूं और इस जीत को आगे भी हासिल रखना चाहूंगी ।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जन्म तिथि पर आयोजित हुआ इंदिरा मैराथन
35वीं इंदिरा मैराथन में आर्मी के एथलीट राहुल पाल पहले स्थान पर रहे वहीं उन्होंने 2 घंटे 28 मिनट 36 सेकंड में 42.195 किलोमीटर की दौड़ पूरी की। राहुल पाल अमेठी के शुकुलपुर गांव के रहने वाले हैं और मुंबई इंजीनियरिंग आर्मी बेस में ट्रेनिंग कर रहे हैं। राहुल पाल ने कहा कि मेरे बचपन के कमलेश पाल उर्फ गांधी जिन्होंने मुझे दौड़ना सिखाया मैं उन्हें बहुत शुक्रिया अदा करता हूं। जिन्होंने मेरे साथ मेहनत की और मुझे एक कामयाब धावक बनाया। वहीं उन्होंने बताया कि सेना में सूबेदार जया भाई को मैं इस जीत का श्रेय देता हूं। राहुल पाल इसके पहले जूनियर एशियन में 5000 और 10000 किलोमीटर की दौड़ में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं।
वहीं मैराथन में दूसरे स्थान पर रहे हरेंद्र चौहान यूपी के गाजीपुर के रहने वाले हैं। हरेंद्र चौहान कम उम्र के एथलीट है। हरेंद्र गाजीपुर के पंडित मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज में 11 वीं के छात्र हैं और सिगरा स्टेडियम बनारस में बीते दो सालों से इंदिरा मैराथन की तैयारी कर रहे थे उन्होंने बताया कि गौरी शंकर चौहान उनके पिता एक सामान्य किसान हैं और उन्होंने कम समय में सफलता पाने पर अपने पिता को इसका श्रेय दिया और कहा कि उनके आशीर्वाद से आज बड़ी सफलता मिली है।
तीसरे नंबर पर हिमांचल प्रदेश के रहने वाले हेतराम ने बाजी मारी है। हेतराम पुणे में आर्मी में पोस्टेड है। इसके पहले भी हेतराम इंदिरा मैराथन में भाग लेते रहे हैं। हेतराम ने अपनी जीत का श्रेय अपने कोच और अपने सहयोगियों को दिया उन्होंने कहा कि सेना के अधिकारियों और मेरे कोच ने मुझे अपनी मेहनत के लिए पूरा समय दिया जिसके चलते आज में मैराथन में तीसरे स्थान पर हूं उन्होंने कहा मेरी जी भारतीय सेना को समर्पित है।
दरअसल, 35वीं इंदिरा मैराथन को खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था जिसमें 222 पुरुष और 41 महिला धावकों में इतिहास रचने के लिए दौड़ लगाई पर अपने नाम खिताब दर्ज किए इस दौरान पूरा प्रशासनिक अमला मैराथन को सफल कराने में लगा रहा मैराथन रूट पर सीसीटीवी कैमरे के इंतजाम किए गए थे जिससे कोई फर्जी धावक बीच में ना घुस सके किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो धावकों के पीछे एंबुलेंस और मदन मोहन मालवीय स्टेडियम के लोग साथ चल रहे थे।