इस दौरान टेबल व कुर्सियां पलटने के साथ माइक तक तोड़ दिया गया। आक्रोशित पार्षदों ने पेन, पेड व एजेंडे की प्रतियां फेंक व फाड़ दी गई। बात इतनी बड़ी कि पुलिस ने हस्तक्षेप कर दोनों पक्षों को शान्त कराया।
हंगामे के दौरान ही वर्ष 2017-18 का 13 हजार 768 लाख का बजट प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक की अध्यक्षता सभापति प्रेम सांखला ने की। प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जबकि नगर परिषद में कांग्रेस बोर्ड काबिज है। ऐसे में यहां होने वाली बैठकों में हंगामा होता है।
बजट का भाषण से पहले अनुमोदन बैठक में वित्त समिति अध्यक्ष नियाज मोहम्मद बकायदा सूटकेस लेकर पहुंचे थे, लेकिन वह बजट भाषण नहीं दे सके और ना ही बजट पढ़कर सुना सके। हालांकि बैठक की शुरुआत में उन्होंने बजट भाषण देना शुरू किया, लेकिन इससे पहले विपक्षी पार्षदों नेे अन्य बिन्दुओं पर चर्चा करने पर जोर देते हुए हल्ला मचाना शुरू कर दिया। अंतिम दौर में वित्त समिति के अध्यक्ष बजट भाषण पढऩे के लिए खड़े हुए तो विपक्ष के सुनने से पहले ही उसे पारित करने की घोषणा कर अनुमोदित कर दिया गया।
यह पार्षद रहे मुखर विपक्षी पार्षदों में नेता प्रतिपक्ष प्रेमनारायण सोनी, पार्षद निर्मल माथोडिय़ा, लोकेश पंचौली, अरविंद गर्ग, मनोनीत पार्षद राजेन्द्र शर्मा ‘रम्मू, सीमा शर्मा, धर्मेन्द्र भार्गव, मनोज बाठला, कांग्रेस पार्षद गौरव शर्मा, राहुल शर्मा, हरिराज सिंह गुर्जर, नियाज मोहम्मद, नवीन सोन, अखलाक अंसारी, विष्णु शाक्यवाल व उपसभापति कमल राठौर मुखर रहे।
भाजपा पार्षद निर्मल माथोडिय़ा ने बताया कि नगरपरिषद की ओर से रोड लाइट के लिए कराए जा रहे 46 लाख के कार्यो व कायनहाउस में कराए गए विभिन्न निर्माण कार्यो की जांच कराई जाएगी।
सात मिनट बाद ही हंगामा निर्धारित समय से करीब 15 मिनट की देरी से 3.15 बजे शुरू हुई बैठक में सात मिनट बाद ही हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी पार्षदों ने एक-एक बिन्दु पर विस्तार चर्चा करने की बात कही। इस दौरान उनकी सत्तापक्ष के पार्षदों से भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर बहस होने लगी। विरोधी पार्षदों ने नारेबाजी करते हुए 3:22 बजे टेबल कुर्सियां फेंकना शुरू कर दिया। करीब 8 मिनट तक हंगामा चलते रहने पर पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस के पहुंचने व सदन की ओर से शांति बनाए रखने की अपील के बाद पुन: टेबल कुर्सियों को व्यवस्थित किया गया तथा बैठक की कार्रवाई शुरू हुई। करीब आधा घंटा बैठक चलने के बाद गौशाला के मुद्दे फिर दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई तथा आवेश में कुछ विपक्षी पार्षदों ने फिर टेबल कुर्सियां पलट दी।
यह बजट बैठक थी, इसमें शहर के विकास की योजना को मूर्तरूप देने के लिए दोनों पक्षों को सकारात्मक सहयोग देना चाहिए था। लेकिन कुछ विपक्षी पार्षद बेवजह हंगामा करते रहे। प्रेम सांखला, सभापति नगर परिषद
सत्ता पक्ष हर बार अपनीनाकामी छिपाने के लिए राज्य सरकार पर दोषारोपण करता रहा है। बैठक में शहर के विकास को लेकर सहमति बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। विपक्ष के मुद्दों की अनदेखी उचित नहीं हैं।
प्रेमनारायण सोनी, नेता प्रतिपक्ष नगर परिषद