इस दौरान पहुंचे पूर्व विधायक जसवंत सिंह ने किसानों से समझाइश की, तब जाकर किसान शांत हुए। किसानों की मांग पर पूर्व विधायक ने एक्सईएन से मौके पर एईएन को भेजने की बात कही, जिससे गेट खुले होने या नहीं खुले होने की वस्तुस्थिति सामने आ सके। उनके सामने भी एक्सईएन किसानों को ही गलत ठहराते रहे।
दरअसल, कनासिल, परुआ, कुरेंधा, भूरापुरा, चितौरा, सरगना सहित करीब एक दर्जन गांवों के किसान दोपहर में कलक्ट्रेट को ज्ञापन देने के लिए सूखी फसल को लेकर पहुंचे। वे कलक्टर को ज्ञापन देने का इंतजार कर रहे थे। इतने में सिंचाई विभाग के एक्सईएन केएल मीणा उन्हें मिल गए।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों को डेड स्टॉक को रखते हुए पूर्ण रूप से पानी छोडऩे के निर्देश दिए हैं, ताकि फसल को नुकसान नहीं हो। किसी का कार्य हो या नहीं हो, अफसरों का व्यवहार संयमित होना चाहिए।
शुचि त्यागी,
जिला कलक्टर, धौलपुर।
गलती खुद अधिकारियों की है। उन्हें पहले ही नहर खोलनी चाहिए थी। जब उन्होंने कहा कि तो एक्सईएन ने मुझसे ही बोला कि आपके पास डिमाण्ड आना जरूरी है क्या। सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वह किसानों की समस्या सुने और निदान करें ना कि उन्हें परेशान करें।
गिर्राजसिंह मलिंगा, विधायक, बाड़ी।