दूसरी खास बात यह है कि यहां की सांसद व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सदर विधायक अदिति सिंह के बाद तीसरी बड़ी कुर्सी भी आधी आबादी के हिस्से में पहुंच जाएगी। तीसरा रोचक पहलू यह है कि कांग्रेस के गढ़ में पहली बार सबसे ज्यादा उम्मीदवारों की भीड़ भाजपा में है। सपा उम्मीदवारों का बायोडाटा भी मांग रही है। जबकि कांग्रेस हाईकमान की ओर निगाहें गड़ाए बैठी है। बसपा पर सियासी माहौल समझने की कोशिश कर रही है।
1928 में नगर पालिका का हुआ था गठन
देखा जाए तो नगर पालिका का गठन 1988 में हुआ था। पहली बार चुनाव लड़ने कांग्रेस नेता मोहन लाल त्रिपाठी मैदान में उतरे थे। और उनको विजयश्री भी मिली थी। इसके बाद 1992 से 94 तक 1995 से 2000 तक कांग्रेस के ही राघवेंद्र प्रताप सिंह के पास नगर पालिका की बागडोर रही। इसके बाद अचानक शहर की सत्ता बदल गई। वर्ष 2000 में चुनाव में भाजपा के तत्कालीन प्रत्याशी डॉ मनोज पांडे मैदान में उतरे और जीत का सेहरा उनके सिर सजा।
लेकिन उनका कार्यकाल पूरा होते ही शहर के मतदाताओं ने अपना मूड बदल दिया और 2006 में हुए चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी राघवेंद्र सिंह एक बार फिर से जीत गए। इसके बाद 2012 में चुनाव हुआ और तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी सपा के मोहम्मद इलियास चुनावी वोट में मैदान को मार लिया। आप फिर चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है।
राजनीतिक दलों के प्रत्याशी का चयन करना नहीं होगा आसान
आरक्षण ने तस्वीर पूरी तरह से बदल दी है। ऐसे में राजनीति के धुरंधरों का खेल पूरी तरह से लगभग गड़बड़ाता नजर आ रहा है। क्योंकि महिला प्रत्याशी का चयन करना किसी भी दल के लिए आसान नहीं होगा। होर्डिंग जनता को इशारा करा रहे पत्नियों की पहचान।
शहर में लगी अधिकांश होर्डिंग में राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले पुरुषों की फोटो है। वह उसी हार्डिंग में अपने साथ अपनी पत्नियों को की फोटो भी लगा रखी है। कुछ होडिंग में पत्नी के पतियो का नाम और पहचान लिखकर पहचान बनाने की भी पूरी कोशिश की जा रही है ।कुछ होडिंग में तो लोग लिख रहे हैं कि वह विभिन्न दलों के संभावित प्रत्याशी भी है।
अब देखना यह होगा की किसके पति कितने राजनीतिक के बड़े खिलाड़ी हैं। और साथ ही पत्नियों की भी स्थितियों जनता में बयां करेगी इन्होंने जनता में अभी तक कौन से ऐसे कार्य किए हैं। साथ ही अभी हाल में चुनाव के नजदीक आते ही ऐसी तमाम समाज सेवक बताने वाले पुरुष और महिलायें जनता के बीच नजर आते दिखाई पड़ रहे हैं। जो लोगों जनता को यह बताना चाहते हैं कि मैं आप का सबसे बड़ा सहयोगी और कार्य करने वाला सेवक हूं और लोगों ने अपने अपने बड़े बड़े बैनर शहर के चौराहों पर गलियों में लगा रखे हैं। जनता तो अपने विवेक पर ही वोट देती नजर आएगी। क्योंकि जनता में जिस भी पार्टी और कार्यकर्ता ने कई साको से उनके दुख सुख और उनके झेत्रो में विकास किया होगा । उसी को जीत दुलाने की कोशिश करेंगे।