इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी जब क्रशर संचालक अस्पताल नहीं पहुंचा और न परिजनों से कोई बात किया तो श्रमिक के परिजन काफी आक्रोशित हो गए। बताया जा रहा है कि परिजनों ने क्रशर संचालक के अस्पताल न आने और कोई मुआजवा राशि न देने की कोई करने पर आक्रोशित हो गए। वह लाश को एंबुलेंस में भरकर सीधे क्रशर संचालक के घर पहुंचे और मुआवजा राशि की मांग करने लगे। दोपहर तक क्रशर संचालक के घर के बाहर ही परिजन खड़े रहे। इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी खरसिया पुलिस को इस बारे में कोई जानकारी न होने उसकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।
चुनाव को लेकर माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में लगाए गए 700 अतिरिक्त जवान विभाग के रिकार्ड में बंद है क्रशर
उक्त क्रशर के बारे में बात करें तो वह क्रशर खनिज विभाग के रिकार्ड लंबे समय से बंद है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जब क्रशर बंद था तो उसके अंदर ऐसा क्या काम चल रहा था कि वहां बिजली लगाने की जरूरत पड़ी और इससे करंट की चपेट में आने से श्रमिक की मौत हो गई। इस घटना के बाद खनिज विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों का आरोप है कि खनिज विभाग के अधिकारी संचालक से सांठ-गांठ करके बंद बड़े क्रशर में काम करवा कर उन्हें मुनाफा कमवा रहे है।