प्रदेश में चुनावी बयार के बीच छत्तीसगढ़ वनकर्मी संघ हड़ताल पर चले गए हैं, जिसमें रायगढ़ जिला भी शामिल है। जिसके करीब ४०० कर्मचारी ऑफिस तो आ रहे हैंं, पर खुद को विभागीय कार्य से दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में, रायगढ़ वन मंडल का डिवीजन कार्यालय में सन्नाटा छाया हुआ है। अगर बात करें विभागीय कार्य के संपादन की तो विभागीय अधिकारी के लिए यह आंदोलन, परेशानी का सबब बन गया है।
अधिकांश कर्मचारी के हड़ताल में होने की वजह से अधिकारी खुद ही बाबू की तरह घंटों कार्यालय में बैठ कर लिखा-पढ़ी कर रहे हैं।
Video Gallery : बारिश में सड़क क्षतिग्रस्त, अब क्षेत्रवासी इस तरह कर रहे सड़क का निर्माण इस बात को अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं। हालांकि १२ सूत्रीय मांग को लेकर वनकर्मियों का यह आदेालन कोई नया नहीं है। इससे पहले भी उन्होंने चार चरणों में विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों को पूरा करने की वकालत कर चुके हैं। पर चौथें चरण का आंदोलन इस मायने में भी अहम रहा। जब शासन की ओर से आंदोलन पर बैठे वनकर्मी नेताओं को लिखित में एक आश्वासन दिया गया। जिसमें इस बात को उल्लेख किया गया था कि इस मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा, जो तीन माह के अंदर अपनी सीमक्षा रिपोर्ट देगी। पर ३ माह की बजाए ४ माह का समय पार हो चुका है। पर शासन स्तर पर कोई पहल नहीं की गई है। इस बात को लेकर वनकर्मी संघ में नाराजगी देखी जा रही है।
कमेटी ने दे दी है रिपोर्ट
रायगढ़ वनकर्मी संघ के अध्यक्ष जितेंद्र ठाकुर ने बताया कि शासन स्तर पर जिस कमेटी का गठन हुआ था। उसने अपनी रिपोर्ट तय समय पर शासन को सुपुर्द कर दी है। उसके बावजूद शासन स्तर पर कोई पहल नहीं की गई है। जिसके बाद प्रांतीय नेताओं के आदेश पर रायगढ़ कर्मचारी संघ भी हड़ताल पर है। जिससे विभागीय कार्य प्रभावित होना स्वभाविक है।
मंगलवार को होगा अहम फैसला
संघ के अध्यक्ष जितेंद्र ठाकुर ने यह भी बताया कि मंगलवार को इस मामले में रायपुर में एक बैठक होगी। शहीद दिवस के कार्यक्रम के बाद इस मामले में चर्चा होगी। वहीं आंदोलन की रुप रेखा तय की जाएगी। जानकारों की माने तो चुनावी वर्ष व कुछ दिनों बाद आचार संहिता लगने का डर भी वनकर्मी संघ को सता रहा है, जिससे उनकी मांगे, नए सरकार के गठन तक ठंडे बस्ते में चली जाएंगी।