दरअसल यह ट्रेन नहीं बल्कि छात्रावास के दीवार को ऐसा पेंटिंग किया गया है। पेंटिंग के जरिए छात्रावासों को आकर्षक बनाया जा रहा है ताकि उक्त छात्रावास की ओर बच्चे आकर्षित हो और वहां रहने में भी बच्चों को अलग आनंद मिले।
यहां रहने वाले बच्चों को छात्रावास में जाने के पहले ऐसा अनुभव होगा कि वह छात्रावास नहीं बल्कि ट्रेन में सफर करने के लिए जा रहे हैं। इसमें बकायदा ट्रेन का इंजन बनाकर बोगियां बनाया गया है जिसमें दक्षिण पूर्वी रेल्वे लिखकर शयनयान व अन्य नाम अंकित किया गया है। अजाक विभाग ने जिले के कुछ चिन्हांकित छात्रावासों को मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए नए प्रयोग करने जा रही है।
जिले के कुछ छात्रावासों में अलग-अलग थीम पर वॉल पेंटिंग कराकर उसका आकार दिया जा रहा है। इसमें बस स्टैंड, ट्रेन या फिर आदिवासी कलाकृति से जुड़े वॉल पेंटींग शामिल है। जिला मुख्यालय में जिला पंचायतक के समीप तीन छात्रावास एक साथ हैं इसमें पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास के भवन को पेंटिंग कर ट्रेन का इंजन व उसका बोगी बनाया गया है तो वहंी अन्य दो छात्रावासों के लिए भी थीम फाइनल करने की तैयारी की जा रही है।
गार्डन की भी मिलेगी सुविधा
छात्रावास के बगल में खाली पड़े जमीन में बकायदा गार्डन का भी निर्माण कराया जा रहा है यहां पर झूले के अलावा पेड़ लगाकर बैठने की व्यवस्था की जा रही है ताकि बच्चें यहां पर सुबह शाम खेल सकें। इसके अलावा छात्रावास तक पहुंच मार्ग भी स्वीकृत किया गया है।
इस तर्ज पर किया जा रहा है काम
आंगनबाड़ी भवनों में छोटे बच्चों को आकर्षित करने के लिए नोबिता और डोरेमन के अलावा अन्य कार्टुन दीवार में पेंटींग कर बनाया गया था ताकि बच्चे आंगनबाड़ी की ओर आकर्षित हो। इस प्रयोग को अब बड़े बच्चों के छात्रावास में किया जा रहा है। जिसके कारण अब उक्त सरकारी भवनों की पहचान इन पेंटींग के जरिए होगी।