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रायगढ़

दो दांत वाली गौमाता का कोटेशन दिखाकर सप्लाई कर दी 10 दांत वाली, इस तरह पशुधन विभाग ने हितग्राही को लगाया चूना

जिले में पहले ही किसान गौपालन से तौबा कर रहे हैं। ऐसे में यदि उनके साथ गाय के नाम पर छल किया जाएगा तो रही-सही उम्मीद भी खत्म हो जाएगी।

रायगढ़Oct 14, 2017 / 11:08 am

Rajkumar Shah

जिले में पहले ही किसान गौपालन से तौबा कर रहे हैं

जिले में पहले ही किसान गौपालन से तौबा कर रहे हैं। ऐसे में यदि उनके साथ गाय के नाम पर छल किया जाएगा तो रही-सही उम्मीद भी खत्म हो जाएगी।

रायगढ़. जिले में पहले ही किसान गौपालन से तौबा कर रहे हैं। ऐसे में यदि उनके साथ गाय के नाम पर छल किया जाएगा तो रही-सही उम्मीद भी खत्म हो जाएगी। सामान्य रूप से गायों के उम्र का निर्धारण उनके दांत से किया जाता है।
जितने कम दांत होंगे वो उतनी ही कम उम्र की होगी और उसकी दुग्ध उत्पादकता बनी रहेगी। पूर्व में विभाग में ही पशुओं की सप्लाई में नस्ल के साथ खिलवाड़ हो चुका है।राज्य डेयरी विकास उद्यमिता योजना के तहत हितग्राही को व्यवसायी ने दो दांत की गाय के बजाए आठ व दस दांत की गाय थमा दी गई है।
हैरानी इस बात की है कि बैंक प्रबंधन और विभाग के अधिकारियों ने बकायदा इसका सत्यापन भी कर दिया। अब इस मामले में हितग्राही को अब न तो दूसरी गाय मिल रही है और न ही राशि वापस हो रही है। अब परेशान किसान आठ व दस दांत की गाय के बदले में दो दांत की गाय दिलाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई है।

दरअसल यह मामला शहर से लगे बांजिनपाली शांतिनगर निवासी फातिमा खातून पति संजय अली का है। उन्होंने बताया कि राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत पशुपालन विभाग में आवेदन दिया। जिस पर विभाग ने आवेदन स्व्ीकृत करते हुए इलाहाबाद बैंक को लोन जारी करने के लिए लिखा।
जिसमें बरमकेला के खोरीगांव निवासी व्यवसायी अर्जुन नायक का कोटेशन जमा किया जिसमें दो दांत के गाय के हिसाब से कोटेशन दिया गया। इसी हिसाब से बैंक प्रबंधन ने उक्त व्यवसायी के नाम से 2 लाख 15 हजार रुपए का चेक क्रमांक 882937 4 जुलाई को जारी किया। जिसके एवज में व्यवसायी ने हितग्राही को दो गाय ओर एक बछड़ा दिया।

ले तो गया वापस पर नहीं दी दूसरी गाय- बाद में पता चला कि इसमें से एक गाय आठ दांत की है तो दूसरी गाय दस दांत की। शिकायत में बताया गया है कि व्यवसायी को इस बारे में शिकायत किया गया तो दस दांत की गाय को वापस ले गया लेकिन इसके एवज में दूसरा गाय नहीं दिया। न ही आठ दांत की गाय को रिप्लेस किया गया।

जांच तो ये भी करते हैं पर क्यों नहीं पकड़ सके– आश्चर्य की बात तो यह है कि राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत हितग्राही को पशु मिलने के दौरान बकायदा बैंक व पशुपालन विभाग के अधिकारी मवेशी में टैग व बिल्ला लगाकर उसका इंश्योरेंस करते हैं।
इसमें भी उक्त सारी प्रक्रिया हुई है लेकिन कहीं पर आपत्ति नहीं हुई जिसका खामियाजा हितग्राही को भुगतना पड़ रहा है। हितग्राही ने यह भी बताया कि अब संबंधित व्यवसायी राशि देने से भी इंकार कर रहा है इससे विभाग व बैंक को अवगत कराया गया लेकिन दोनो ओर से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई।

इसकी जांच से सामने आएगा सच– जानकारों की माने तो मवेशी सप्लाई करने के दौरान बैंक, पशु चिकित्सा विभाग से डॉक्टर व अन्य की टीम सत्यापन करती है इसके बाद मवेशी में बिल्ला व टैग लगाने के बाद उसका इंश्योरेंस किया जाता है। उक्त दस्तावेज के आधार पर मौके पर उपस्थित मवेशी की जांच की जाए तो वास्तविकता सामने आ जाएगी। हलंाकि अधिकारी शिकायत मिलने के बाद मामले के जांच की बात कह रहे हैं।

पहले भी विभाग में हुई है गड़बड़ी– धरमजयगढ़ परियोजना के तहत आदिवासियों को बकरा पालन का लाभ दिलाने की योजना थी। जिसमें विभाग ने जमुनापारी बकरे के एवज में क्रॉस जमुनापारी बकरे की सप्लाई कर दी गई थी। वहीं उन्नत नस्ल की बकरी के एवज में देशी नस्ल की बकरी वितरित कर दी गई थी। इस मामले में राज्य स्तरीय टीम ने जांच की थी जिसके बाद आगे की कार्रवाई नहीं हुई।

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