दरअसल यह मामला शहर से लगे बांजिनपाली शांतिनगर निवासी फातिमा खातून पति संजय अली का है। उन्होंने बताया कि राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत पशुपालन विभाग में आवेदन दिया। जिस पर विभाग ने आवेदन स्व्ीकृत करते हुए इलाहाबाद बैंक को लोन जारी करने के लिए लिखा।
ले तो गया वापस पर नहीं दी दूसरी गाय- बाद में पता चला कि इसमें से एक गाय आठ दांत की है तो दूसरी गाय दस दांत की। शिकायत में बताया गया है कि व्यवसायी को इस बारे में शिकायत किया गया तो दस दांत की गाय को वापस ले गया लेकिन इसके एवज में दूसरा गाय नहीं दिया। न ही आठ दांत की गाय को रिप्लेस किया गया।
जांच तो ये भी करते हैं पर क्यों नहीं पकड़ सके– आश्चर्य की बात तो यह है कि राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत हितग्राही को पशु मिलने के दौरान बकायदा बैंक व पशुपालन विभाग के अधिकारी मवेशी में टैग व बिल्ला लगाकर उसका इंश्योरेंस करते हैं।
इसकी जांच से सामने आएगा सच– जानकारों की माने तो मवेशी सप्लाई करने के दौरान बैंक, पशु चिकित्सा विभाग से डॉक्टर व अन्य की टीम सत्यापन करती है इसके बाद मवेशी में बिल्ला व टैग लगाने के बाद उसका इंश्योरेंस किया जाता है। उक्त दस्तावेज के आधार पर मौके पर उपस्थित मवेशी की जांच की जाए तो वास्तविकता सामने आ जाएगी। हलंाकि अधिकारी शिकायत मिलने के बाद मामले के जांच की बात कह रहे हैं।
पहले भी विभाग में हुई है गड़बड़ी– धरमजयगढ़ परियोजना के तहत आदिवासियों को बकरा पालन का लाभ दिलाने की योजना थी। जिसमें विभाग ने जमुनापारी बकरे के एवज में क्रॉस जमुनापारी बकरे की सप्लाई कर दी गई थी। वहीं उन्नत नस्ल की बकरी के एवज में देशी नस्ल की बकरी वितरित कर दी गई थी। इस मामले में राज्य स्तरीय टीम ने जांच की थी जिसके बाद आगे की कार्रवाई नहीं हुई।