इसी तरह धरमजयगढ़, तमनार व लैलूंगा से आने वाली बसें भी जाम में फंसी रहीं और इन बसों में सवार यात्रियों को घंटो हलाकान होना पड़ा। बसों के अलावा छोटे चार पहिए वाहन भी जाम में फंसे रहे। इस सममस्या को लेकर न तो पुलिस प्रशासन के अधिकारी वहां पहुंचे और ना ही जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। ऐसे में कुछ वाहन चालक की सड़क पर उतरे और वाहनों को व्यस्थित कराते हुए जगह बनाया। वाहन चालकों ने करीब एक घंटे तक मशक्कत के बाद गड्ढों में फंसे वाहनों को किनारे करवाया और वाहनों के निकलने का रास्ता बनाया। इसके बाद दोपहर करीब १२ बजे धीरे-धीरे वाहनों का निकलना शुरू हो सका।
महतारी के साथ फंसी एंबुलेंस
इस जाम में महतारी एक्सप्रेस के साथ एंबुलेंस भी फंसी रही। लाखा से करीब पांच किलोमीटर पहले १८ नाला पुल के पास एक एंबुलेंस जाम की वजह से आगे नहीं बढ़ पा रही थी। इस एंबुलेंस में मरीज सवार थे। इसी तरह इससे आगे एक महतारी एक्सप्रेस भी जाम में फंसी हुई थी। हालांकि जाम खुलने के बाद ये अन्य वाहनों के साथ ये वाहन भी आगे बढऩे लगे।
परेशान लोग कस रहे थे तंज
जाम में फंसे वाहन चालक और यात्रियों में प्रशासन के प्रति गुस्सा भी देखने को मिला। लोग यह कहने से नहीं चूक रहे थे कि सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे ही सरकार के विकास कार्य हैं। यदि सड़क की स्थिति सही रहती तो जाम की स्थिति निर्मित नहीं होती। वहीं जाम लगने के बाद जिला प्रशासन व पुलिस की टीम मौके पर पहुंचते हुए यातायात को व्यवस्थित करा सकती थी, लेकिन कोई नहीं पहुंचा। ऐसे में लोगों ने ही व्यवस्था संभालने की कमान संभाली।