2016 के जांच में जो 132 लोग शामिल नहीं हुए उनके पाक साफ होने पर संशय बना हुआ है। सवाल यह भी है कि इनकी जांच पिछले 8 सालों से लंबित क्यों है? जांच के दायरे में होने के बावजूद जो लोग शामिल नहीं हुए ,उन्हें पदोन्नति सूची में शामिल नहीं करने जनपद सीईओ के पत्र के बावजूद उनका नाम सूची में शामिल कर सूची को डीईओ ने विवादास्पद कर पदोन्नति प्रक्रिया को दूषित कर दिया है। पूर्व में जिन्हें जांच का जिम्मा मिला वे अपने रिश्तेदार व निजी स्वार्थ के चलते ऐसे लोगो के नाम को कार्रवाई से हटा दिया था, जिससे ऐसे दर्जनभर लोग कार्रवाई के दायरे से बाहर हो गए।
लगातार हो रहे ब्लैकमेलिंग के शिकार
मैनपुर शिक्षाकर्मी भर्तीकांड के न्योक्ताओं पर कानूनी कार्रवाई हो चुकी, बावजूद मामला विगत 18 वर्षों से दस्तावेजों के पेंच में फंसा हुआ है। इन 18 वर्षो में अधर में लटके कर्मियों को, निजी हो या सरकारी क्षेत्र या फिर जनप्रतिनिधियों से कई दफे ब्लेक मेलिंग का शिकार होना पड़ा है। सिलसिला अब भी रुका नहीं है, जबकि इन सभी का संविलियन से लेकर नियमितीकरण तक हो चुका है। नियुक्ति मामले के सारे रिकॉर्ड भी जल कर खाक हो चुका है। इतने साल की नौकरी में कर्मियों का कानूनी पक्ष भी मजबूत हो चुका है। जांच-जांच के खेल के दरम्यान मानसिक रूप से परेशान होकर कई कर्मियों की मौत भी हो चुकी है। कुछ ने तंग आकर नाौकरी तक छोड़ दी है। संचनालय स्तर पर जांच हुई तो मामले में पारदर्शिता होने व प्राकृतिक न्याय की उम्मीद जाग गई है।