scriptजिन शिक्षाकर्मियों के खिलाफ होनी है कार्रवाई, उन्हें डीईओ ने पदोन्नति सूची में किया शामिल | 132 farji shikcha karmiyo ki khilaf honi he karwayi | Patrika News
रायपुर

जिन शिक्षाकर्मियों के खिलाफ होनी है कार्रवाई, उन्हें डीईओ ने पदोन्नति सूची में किया शामिल

.7 साल से मैनपुर में नियुक्त कथित 132 फर्जी शिक्षाकर्मियों की जांच लंबित हैं। 139 शिक्षाकमियों पर भी कार्रवाई नहीं हुई। फिर भी जिला शिक्षा अधिकारी ने पदोन्नति सूची में इन शिक्षाकर्मियों का नाम शामिल कर दिया था। इसलिए संयुक्त संचालक ने टी सवर्ग के 552 सहायक शिक्षकों की पदोन्नति रोक दी है। साथ ही सचिव को पत्र लिख कहा है कि संचनालय स्तर के अफसरों की टीम बनाकर पहले जांच की जाए, फिर पदोन्नति दी जाए।

रायपुरDec 01, 2022 / 04:28 pm

Gulal Verma

जिन शिक्षाकर्मियों के खिलाफ होनी है कार्रवाई, उन्हें डीईओ ने पदोन्नति सूची में किया शामिल

जिन शिक्षाकर्मियों के खिलाफ होनी है कार्रवाई, उन्हें डीईओ ने पदोन्नति सूची में किया शामिल

गरियाबंद.7 साल से मैनपुर में नियुक्त कथित 132 फर्जी शिक्षाकर्मियों की जांच लंबित हैं। 139 शिक्षाकमियों पर भी कार्रवाई नहीं हुई। फिर भी जिला शिक्षा अधिकारी ने पदोन्नति सूची में इन शिक्षाकर्मियों का नाम शामिल कर दिया था। इसलिए संयुक्त संचालक ने टी सवर्ग के 552 सहायक शिक्षकों की पदोन्नति रोक दी है। साथ ही सचिव को पत्र लिख कहा है कि संचनालय स्तर के अफसरों की टीम बनाकर पहले जांच की जाए, फिर पदोन्नति दी जाए।
विभिन्न खरीदी व नियुक्ति को लेकर सुर्खियों में रहने वाले जिला शिक्षा विभाग फिर एक बार अपनी लापरवाही के कारण सुर्खियों में आ गया है। ताजा मामला पदोन्नति का है। शासन के निर्देश पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अक्टूबर माह में पदोन्नति कर लिया था, पर गरियाबंद इस मामले में भी पिछड़ गया। जिला शिक्षा विभाग के ढुलमूल रवैये के अलावा लापरवाही के कारण टी सवर्ग के 552 सहायक शिक्षकों की पदोन्नति अब अधर में लटक गई। संयुक्त संचालक के. कुमार ने 28 नवम्बर को शिक्षा सचिव डॉ. एस भारती दासन को एक अर्ध शासकीय पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि जनपद सीईओ मैनपुर द्वारा उन 132 शिक्षाकर्मियों के नाम पदोन्नति में शामिल नहीं करने का आग्रह डीईओ को किया था, जिनके विरूद्ध वर्ष 2016 से जांच लंबित है। बावजूद टी सवर्ग के 552 की सूची में इन 132 के नाम शामिल कर दिया गया है। 2016 की जांच में जिन 139 कर्मियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी, वह भी लंबित है। इसलिए संचनालय स्तर से टीम गठित कर जांच करने व इस जांच के बाद ही पदोन्नति करना उचित होना कहा गया है। पत्र की प्रतिलिपि गरियाबन्द कलेक्टर, डीईओ को भी जानकारी के लिए भेजा गया है। दो बड़ी वजह हैं जिसके चलते संचनालय स्तर की टीम को नए सिरे से जांच करने की जरूरत पड़ी है।
जांच में कई विसंगतियां
संयुक्त संचालक के पत्र में बताया गया है कि जनपद पंचायत मैनपुर द्वारा 2005 से 2007 में स्वीकृत 454 पद पर शिक्षाकर्मि वर्ग 3 की भर्ती की गई। विकलांगता, अनुभव, खेलकूद व एनसीसी जैसे कैडेट के फर्जी दस्तावेज के जरिये नौकरी हासिल करने की शिकायत की जांच 2016 में तत्कालीन जिला सीईओ के नेतृत्व में गठित कमेटी ने की। जांच में 322 अभ्यर्थी उपस्थित हुए। इन्ही में से 139 का दस्तावेज सही होना बताया गया।129 को फर्जी बताकर कमेटी ने नियुक्ति निरस्त करने कहा। इसी में से 65 के दस्तावेज सम्बंधित संस्थान को परीक्षण के लिए भेजने कह दिया। इस प्रतिवेदन के बाद मामले में क्या हुआ, कहीं जिक्र नहीं है। न तो सम्बन्धितों को कोई नोटिस तामिल की गई, न ही गोपनीय चरित्रावली में कार्रवाई का कोई जिक्र किया गया। तत्कालीन कमेटी की दोषपूर्ण जांच के अलावा कई विसंगतियां सामने आई। इसी वजह से निरस्त करने की कार्रवाई लंबित है।
जांच अधर में लटकी है132 की
2016 के जांच में जो 132 लोग शामिल नहीं हुए उनके पाक साफ होने पर संशय बना हुआ है। सवाल यह भी है कि इनकी जांच पिछले 8 सालों से लंबित क्यों है? जांच के दायरे में होने के बावजूद जो लोग शामिल नहीं हुए ,उन्हें पदोन्नति सूची में शामिल नहीं करने जनपद सीईओ के पत्र के बावजूद उनका नाम सूची में शामिल कर सूची को डीईओ ने विवादास्पद कर पदोन्नति प्रक्रिया को दूषित कर दिया है। पूर्व में जिन्हें जांच का जिम्मा मिला वे अपने रिश्तेदार व निजी स्वार्थ के चलते ऐसे लोगो के नाम को कार्रवाई से हटा दिया था, जिससे ऐसे दर्जनभर लोग कार्रवाई के दायरे से बाहर हो गए।
लगातार हो रहे ब्लैकमेलिंग के शिकार
मैनपुर शिक्षाकर्मी भर्तीकांड के न्योक्ताओं पर कानूनी कार्रवाई हो चुकी, बावजूद मामला विगत 18 वर्षों से दस्तावेजों के पेंच में फंसा हुआ है। इन 18 वर्षो में अधर में लटके कर्मियों को, निजी हो या सरकारी क्षेत्र या फिर जनप्रतिनिधियों से कई दफे ब्लेक मेलिंग का शिकार होना पड़ा है। सिलसिला अब भी रुका नहीं है, जबकि इन सभी का संविलियन से लेकर नियमितीकरण तक हो चुका है। नियुक्ति मामले के सारे रिकॉर्ड भी जल कर खाक हो चुका है। इतने साल की नौकरी में कर्मियों का कानूनी पक्ष भी मजबूत हो चुका है। जांच-जांच के खेल के दरम्यान मानसिक रूप से परेशान होकर कई कर्मियों की मौत भी हो चुकी है। कुछ ने तंग आकर नाौकरी तक छोड़ दी है। संचनालय स्तर पर जांच हुई तो मामले में पारदर्शिता होने व प्राकृतिक न्याय की उम्मीद जाग गई है।

Home / Raipur / जिन शिक्षाकर्मियों के खिलाफ होनी है कार्रवाई, उन्हें डीईओ ने पदोन्नति सूची में किया शामिल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो