बाघ अभयारण्य के जंगलों पर कब्जा करने के लिए पिछले 11 वर्षों से जंगलों की कटाई चल रही है। स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग के अफसरों से कई बार इसकी शिकायत की थी। लेकिन, खानापूर्ति ही हुई। वन विभाग ने 17 जुलाई को करलाझर परिक्षेत्र के पूंजीपथरा में झोपडिय़ां बना रहे ओडिशा के 16 लोगों को गिरफ्तार किया था। कुछ समय बाद ही वे जमानत पर रिहा हो गए।
अफसर झांकने तक नहीं गए
बाघ अभयारण्य के फील्ड डायरेक्टर का कार्यालय रायपुर में है। यहां से कोई अफसर अंदरुनी क्षेत्रों में झांकने की जहमत तक नहीं उठाई। वर्तमान में आईएफएस एचएल रात्रे इस पद पर पदस्थ हैं। इससे पहले केके बिसेन थे। वह सिर्फ कुमकी हाथी और एलीफेंट रिजर्व में व्यस्त रहे। मार्च-अप्रैल में सीआरपीएफ के जवानों द्वारा जंगल में आग लगाने की खबर आई थी। पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने केके बिसेन को जांच करने को कहा। इसके बाद भी किसी अफसर ने सीआरपीएफ से पूछताछ करने की जहमत नहीं उठाई।
छापेमारी होगी
वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ अतुल शुक्ला ने बताया कि जंगल के भीतर कब्जा करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने स्पेशल टीम अचानक छापेमारी करेगी। उदंती में जांच के बाद सीतानदी इलाके को भी जांच के दायरे में लिया गया है।
वाजिब शिकायत पर कार्रवाई होगी
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि जंगलों में अवैध कब्जों और कटाई की वाजिब शिकायत पर हर हाल में कार्रवाई होगी। पुराने मामलों को भी जांच में लिया जाएगा। अभी चल रही जांच और कार्रवाई भी 2008 से चल रही कटाई के संदर्भ में है। दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।