हालांकि सरकार ने आधिकारिक रूप से केवल सात मौतों की बात स्वीकारी है। इस बीच स्वास्थ्य आयुक्त आर. प्रसन्ना ने सोमवार को पत्रकारवार्ता में स्वास्थ्य मंत्री अजय चन्द्राकर के बयान के उलट बताया कि डेंगू का वायरस एक बार फैल गया तो उसपर काबू पाने में वक्त लगता है। उन्होंने कहा, यह लंबी प्रक्रिया है, इसकी समयसीमा भी बताना संभव नहीं है। स्वास्थ्य आयुक्त ने बताया, अभी प्रदेश भर के अस्पतालों में डेंगू के 615 संदिग्ध मरीज भर्ती हैं। इनमें से अधिकतर दुर्ग-भिलाई के ही हैं।
उन्होंने बताया वहां अस्पतालों में नए मरीजों के लिए जगह नहीं बची है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग हाफडे होम बनाने की सोच रहा है, जहां कम गंभीर मरीजों को रखकर उनकी सांत्वना के लिए इलाज किया जाएगा।
सभी को भर्ती करने की जरूरत नहीं : स्वास्थ्य आयुक्त का कहना था, डेंगू होने पर सभी मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती। उनका दावा था, 100 में से एक या दो को ही अस्पताल में भर्ती कर इलाज की जरूरत पड़ती है। कम गंभीर मरीजों को घर पर रहकर ही इलाज कराना चाहिए।