सुनील नायक/रायपुर. अंबेडकर अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई के दौरान प्रेशर लेबल कम होने सके पिछले दिनों 4 बच्चों की मौत के बावजूद अस्पताल प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। एक कर्मचारी को निलंबन कर खानापूर्ति करने के बाद अब भी अप्रशिक्षित कर्मचारियों के भरोसे ऑक्सीजन सप्लाई का काम किया जा रहा है। इन कर्मियों को ऑक्सीजन चालू करने और बंद करना तो सिखा दिया गया है, लेकिन अगर पाइप लाइन अथवा मेनीफोल्ड रूम में कोई गड़बड़ी हो तो ये कर्मचारी कुछ नहीं कर सकते हैं। ऐसे में अंबेडकर अस्पताल में कभी भी ऑक्सीजन सप्लाई दोबारा रुक या बाधित हो सकती है।
अंबेडकर अस्पताल में फॉरेन कंट्री की लिंडे कंपनी को लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई का ठेका दिया गया है। प्रदेश सरकार की उदासीनता, अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और विदेशी कंपनी से मुनाफाखोरी की गाज कभी भी प्रदेश के अस्पतालों पर गिर सकती है। अंबेडकर अस्तपाल में ही लगभग 1200 बेड है। इनमें से 350 बेड पर सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई है। इसके अतिरिक्त सर्जिकल, मेडिसिन व बच्चों के आईसीयू हैं, जहां वेंटीलेटर पर मरीजों को रखना पड़ता है। यहां एक हजार क्यूबिक क्षमता वाला लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है। ऑपरेशन थियेटर और आपातकाल की स्थिति में लिक्विड व सिलेंडर वाले ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है।
स्टोर कीपर को भी स्टॉक की जानकारी नहीं सिलेंडर से ऑक्सीजन सप्लाई का ठेका भी एक निजी कंपनी को दिया गया है। अंबेडकर अस्पताल से करीब 15 किलोमीटर दूर प्लांट लगाया गया है। यहीं से आक्सीजन की सप्लाई की जाती है। ऑक्सीजन गैस दो तरह के सिलेंडर से सप्लाई की जाती है। अस्पताल की मांग अनुरूप प्रति सप्ताह छोटा गैस सिलेंडर औसतन ११० और ज्वॉइंट सिलेंडर औसतन 1450 सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है। लिक्विड ऑक्सीजन को बंद करने से पूर्व स्टोर से अस्पताल में सिलेंडर की सप्लाई की जाती है। मेन स्टोर कीपर को रूम में कितने ऑक्सीजन गैस सिलेंडर स्टॉक में बचे हैं, कितने खाली है इसकी जानकारी नहीं रहती है। बताया जाता है कि अगर किसी कर्मचारी की मानवीय त्रुटि से ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हो तो बड़ी दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
टेक्नीशिन का बहाना पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई के लिए टेक्नीशियन जरूरी है। टेक्नीशियन के लिए कई बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन अब तक टेक्नीशिन नहीं मिला है। चतुर्थवर्गीय कर्मी को ही ड्यूटी पर लगाया गया है। डॉ. विवेक चौधरी, अधीक्षक, अंबेडकर अस्पताल, रायपुर
Home / Raipur / 4 बच्चों की मौत हो चुकी, फिर भी अंट्रेंड चपरासी के हाथों में थमा दी सैकड़ों की सांसें