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रायपुर

ITBP के चार जवान ठीक होने के 21 दिन बाद फिर कोरोना पॉजिटिव, किए गए आइसोलेट

रायपुर (Raipur) के खरोरा क्षेत्र में आईटीबीपी (ITBP) कैंप के 4 जवानों की कोरोना रिपोर्ट रविवार को पार्टी आई। यहां तक तो सब ठीक था, मगर हड़कंप इस बात से मच गया कि यह 4 जवान पहले भी कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाए जा चुके थे।

रायपुरJul 06, 2020 / 09:26 am

Ashish Gupta

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रायपुर. राजधानी रायपुर (Raipur) के खरोरा क्षेत्र में आईटीबीपी (ITBP) कैंप के 4 जवानों की कोरोना रिपोर्ट रविवार को पार्टी आई। यहां तक तो सब ठीक था, मगर हड़कंप इस बात से मच गया कि यह 4 जवान पहले भी कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाए जा चुके थे। मगर इस बार इनकी रिपोर्ट को नई गाइडलाइन के मुताबिक फॉल्स पॉजिटिव (False Positive) माना जा रहा है। यानी कुछ डेड वायरस (नष्ट वायरस) शरीर के अंदर मौजूद हैं, जो जांच में पाए गए।
इन जवानों को भर्ती नहीं किया गया है, इन्हें 10 दिनों के लिए इनके कैंप में ही आइसोलेट कर दिया गया है। यह स्वास्थ्य टीम की निगरानी में रहेंगे। पत्रिका को मिली जानकारी के मुताबिक 14 और 16 जून को जवान संक्रमित पाए गए थे। इन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के कोविड-19 (COVID-19) वार्ड में भर्ती करवाया गया था। ये सभी एसिम्टोमैटिक थे।
इसलिए नई गाइडलाइन के तहत 10 दिन के उपचार के बाद इन्हें छुट्टी दे दी गई। वापसी के बाद इन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन करवाया गया। 14 दिन पूरे होने के बाद ज्वाइनिंग से पहले आला अफसरों के निर्देश पर इनकी दोबारा टेस्टिंग करवाई गई। रिपोर्ट पॉजिटिव मिली।
प्रदेश में इसके पहले शुरुआत में सऊदी अरब से लौटी बिलासपुर निवासी महिला की कोरोना रिपोर्ट 45 दिन बाद पॉजिटिव मिली थी, तो वहीं सूरजपुर आरक्षक क्वारंटाइन सेंटर में पदस्थ आरक्षक दो बार पॉजिटिव पाया गया था। मगर, इन दोनों मामलों में संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
अंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके पंडा ने बताया कि अगर कोई मरीज पॉजिटिव आता है तो इलाज और डिस्चार्ज होने के बाद कुछ वायरस डेड बच जाते हैं। रिसर्च इसे फॉल्स पॉजिटिव मानती है। यह वही स्थिति है।

बदली गाइडलाइन से खतरा भी हो सकता है
देश में लगातार बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए आईसीएमआर (ICMR) ने जून में गाइडलाइन में संशोधन किया। कहा कि एसिम्टोमैटिक मरीज को 14 दिन नहीं, 10 दिन तक अस्पताल में भर्ती रखना है। अगर उसे कोई परेशानी नहीं है तो आरटी-पीसीआर टेस्ट की जरूरत नहीं है, छुट्टी दे दी जाए। इससे दो बार टेस्टिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन पावर के साथ-साथ समय को भी बचाया जाना उद्देश्य है। मगर, विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि बिना टेस्ट के मरीज को डिस्चार्ज किया जा रहा है और इनके अंदर वायरस रहता है तो यह समुदाय के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।

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