शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के डॉक्टरों का मानना है कि अभी भी बहुत मरीज कोरोना में आयुर्वेद की दवा ले रहे हैं। ठीक भी हो रहे हैं। अब जब केंद्र ने दवाएं तय कर दी हैं, बिल्कुल मरीजों को उनका लाभ मिलना चाहिए। इससे आयुर्वेद पर भरोसा बढ़ेगा। ‘पत्रिका’ ने इस अहम मुद्दा पर सबसे पहले आयुष संचालनालय के संचालक डॉ. जीएस बदेशा को कॉल किया। जब उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया तो उन्हें वॉट्सएप के जरिए संपर्क सवाल भेजे गए, मगर उन्होंने फिर भी जवाब नहीं दिया। स्वास्थ्य विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले ने भी कॉल रिसीव नहीं किया। मगर, आयुष रजिस्ट्रार डॉ. संजय शुक्ला का मानना है कि यह आयुर्वेद डॉक्टरों के लिए अच्छा अवसर है, बस उन्हें इलाज की इजाजत दी जाए।
साधन-संसाधन पर्याप्त लेकिन डॉक्टर कम- प्रदेश सरकार ने कोविड हॉस्पिटल, कोविड केयर सेंटरों में सभी सुविधाएं मुहैया करवा दी हैं। मगर, सबसे बड़ी कमी है, डॉक्टर्स की। क्योंकि अब तक एमबीबीएस डिग्रीधारी डॉक्टर से ही कोरोना मरीजों का इलाज करवाया जा रहा है। 4,100 आयुर्वेद डॉक्टरों के साथ खड़े होने से ऐलोपैथी के मैनपॉवर को राहत मिलेगी, जो बीते 7 महीने से दिनरात मरीजों का इलाज करने में जुटे हुए हैं।
‘पत्रिका’ सबसे पहले-
23 जून 2020 को ‘पत्रिका’ ने बताया था, मध्यप्रदेश और दिल्ली में आयुर्वेद पद्धति से कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। मरीज ठीक भी हो रहे हैं। तब तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक ने कहा था- आईसीएमआर और केंद्र से कोई गाइड-लाइन नहीं मिली है, न ही आयुर्वेद के जरिए कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने का कोई डेटा है।