हर पेपर के 500-500 रुपए
ओपन परीक्षा के जरिए 10वीं-12वीं में अच्छे अंक दिलाने और परीक्षा में पास कराने के लिए विद्यार्थियों से 10 से 20 हजार रुपए में ठेका लिया जाता है। ठेका लेने वालों को केवल पैसा देना पड़ता है। बाकी प्रवेश पत्र से लेकर परीक्षा देने का काम मुन्नाभाइयों से कराया जाता है। परीक्षा में बैठने के एवज में मुन्नाभाइयों को एक-एक पेपर के 500-500 रुपए दिए जाते हैं।
पूरे फर्जीवाड़े में मुख्य भूमिका
डिग्री गल्र्स कॉलेज के वीकेश सिंह राठौर की बताई जा रही है। वीकेश ही एेसे छात्र-छात्राओं को लाता था, जिन्हें 10वीं-12वीं में उत्तीर्ण होना या अच्छे अंक लाना है। वीकेश के साथ मुकेश भी है। मुकेश राजस्थान का रहने वाला है। बताया जाता है कि वीकेश और मुकेश के संपर्क परीक्षा केंद्र प्रभारी अरूण से थे।
ये हैं ‘मुन्नाभाई’
देवेंद्र कुर्रे, शिवम् सिंह, सौरभ सिंह, सागर सिंह, शिव पहन, स्वाती वर्मा, स्वीटी सिंह (सभी छत्तीसगढ़ के सूरजपुर, बिहार, उत्तरप्रदेश निवासी) शािमल हैं। इनके ठहरने और खाने की व्यवस्था करने वाला आरोपी पुलिस की गिरफ्त से फरार है।
जानकारी नहीं है
एनआईओएस के रीजनल डायरेक्टर ए.के. भट्ट ने कहा कि परीक्षा संबंधी कार्य में सुरक्षा बरती जाती है। घटना के संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
भूमिका की हो रही जांच
रायपुर सिविल लाइन टीआई हेमप्रकाश नायक ने कहा कि प्रारंभिक जांच के आधार पर मूल परीक्षार्थियों के स्थान पर परीक्षा देने वाले 7 और फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ अपराध दर्ज कर सभी को हिरासत में लिया गया है। सभी से पूछताछ की जा रही है। डायरेक्टर की भूमिका की भी जांच की जा रही है।