उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया, कोरोना संकट शुरू होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर लॉकडाउन के दौरान भी औद्योगिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए रणनीति तैयार कर ली गई थी। इस दौरान सभी जरूरी सावधानियों के साथ प्रदेश के उद्योगों में उत्पादन होता रहा है, किन्तु अब लॉकडाउन समाप्त होने और अनलॉक शुरू होने के बाद उद्योगों को और ज्यादा रियायतें मिल गई है, जिससे उत्पादन में उत्तरोतर वृद्धि हो रही है।
मार्च से जून के मध्य 258 नवीन औद्योगिक इकाईयों में लगभग 550 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश भी हुआ है. इसमें 3 हजार 360 व्यक्तियों को रोजगार मिला है। इस अवधि में राज्य के लौह इस्पात उद्योगों द्वारा 27 लाख मीट्रिक टन लोहे का उत्पादन किया गया। राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन अवधि में अतिआवश्यक मेडिकल सामग्री निर्माण तथा खाद्य आधारित इकाईयों का निर्बाध संचालन सुनिश्चित कराया गया। राज्य सरकार द्वारा त्वरित निर्णय लेते हुए सेनेटाईजर के उत्पादन के लिए डिस्टलरियों को लाईसेंस दिए गए तथा पैकिंग सामग्री निर्माण की सुविधा देकर प्रदेशभर में इनका वितरण सुनिश्चित किया गया।
इस अवधि में बैंकों के माध्यम से 2 हजार लघु एवं सूक्ष्म इकाईयों के लिए लगभग 36 करोड़ रुपए की ऋण राशि हितग्राहियों को वितरित की गई। इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा 848 औद्योगिक इकाईयों को 103 करोड़ रुपए का अनुदान वितरित किया गया। राज्य की 282 औद्योगिक इकाईयों को स्टाम्प शुल्क से छूट दी गई। इसी बीच राज्य सरकार द्वारा 101 स्थानों पर फूडपार्क के लिए 1300 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई तथा 15 स्थानों पर 200 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरित की गई, जहां फूडपार्क की स्थापना का कार्य प्रारंभ हो गया है।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन समाप्त हुआ तो पड़ोसी राज्यों से सबसे पहले छत्तीसगढ़ में औद्योगिक इकाईयां संचालित होना शुरू हुई। प्रदेश में बड़े उद्योग लॉकडाउन के दौरान भी कम क्षमता के साथ संचालित हो रहे थे। चाहे भिलाई इस्पात संयंत्र हो या फिर बाल्को या एसईसीएल हो, खदानें भी कम उत्पादन क्षमता के साथ संचालित हो रही थी। मार्च के अंत में जो औद्योगिक इकाईयां बंद हो गई थी, वे 23 अप्रैल से संचालित होना शुरू हो गई।