जांच में फर्जी पाए जाने के बाद भी 129 शिक्षाकर्मियों पर नहीं हुई कार्रवाई
फर्जी दस्तावेजों और प्रमाण पत्रों के सहारे वर्षोंं से कर रहे हैं नौकरी, पत्रिका के पास है 129 फर्जी शिक्षाकर्मियों की सूची
जांच में फर्जी पाए जाने के बाद भी 129 शिक्षाकर्मियों पर नहीं हुई कार्रवाई
गरियाबंद. वर्ष 2005 से 2007 में भाजपा शासनकाल में हुए शिक्षाकर्मी भर्ती फर्जीवाड़ा में जांच प्रतिवेदन आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फर्जी शिक्षाकर्मी आज भी नौकरी कर रहे हैं। फर्जी शिक्षकों (शिक्षाकर्मियों) पर कार्रवाई न होना जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब तक शिक्षाकर्मियों की सूची सार्वजनिक नहीं हुई है। जिस वजह से समाज के सामने वे अपने फर्जी दस्तावेजों को सही बताते हुए सीना तान कर नौकरी कर रहे हैं। इनके पास जो प्रमाण पत्र हैं, उसे जांच अधिकारियों ने फर्जी पाया था।
गौरतलब है कि जनपद पंचायत मैनपुर में वर्ष 2005 से 2007 तक फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र व फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षा कर्मी वर्ग 3 पर शिक्षकर्मियों की बड़ी तादाद में नियुक्ति हुई थी। जिसमें 454 आवेदनों में से जांच के लिए 322 अभ्यर्थी जांच के समय उपस्थित हुए थे। जिसमें 139 शिक्षाकर्मियों का अभिलेख और दस्तावेज जांच में सही पाया गया था व 129 शिक्षाकर्मियों की जांच में फर्जी प्रमाण पत्र व फर्जी दस्तावेजों के कारण नियुक्ति निरस्त करने के लिए कार्यालयीन पत्र क्रमांक 2247 दिनांक 17-7-2019 के द्वारा पत्र लेख किया गया था। वहीं, 65 शिक्षाकर्मियों के दस्तावेज जांच में परीक्षण में योग्य पाया गया था। जिसको संबंधित संस्थाओं और विभागों को सत्यापन के लिए भेजा गया था। वहीं, 132 शिक्षाकर्मी जांच दल के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे। जिसके लिए कार्यालय आदेश क्रमांक 2483 दिनांक 26-7-19 को नवीन जांच समिति गठित की गई थी।
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