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रायपुर

जिले में पटाखा दुकानों पर 4 साल से कार्रवाई लंबित- बारुद के ढेर में शहर

खुद बिना लाइसेंस के कर रहे है बारुद का कारोबार, रहवासी इलाकों में तैयार कर रहे फुटकर व्यापारी

रायपुरSep 16, 2019 / 09:47 pm

jitendra dahiya

fataka bajar

राजधानी के 75 थोक पटाखा दुकानों को शहर से बाहर करने की कवाद बीते तीन साल से चल रही है लेकिन अब तक प्रशासन इसमें सफल नहीं हो पाया है।

रायपुर। राजधानी के 75 थोक पटाखा दुकानों को शहर से बाहर करने की कवाद बीते तीन साल से चल रही है लेकिन अब तक प्रशासन इसमें सफल नहीं हो पाया है। दूसरी ओर खुद बिना लाइसेंस की चल रही पटाखा दुकानों ने छोटे व्यापारियों को रहवासी इलाकों में फुटकर व्यापार के लिए तैयार कर दिया है। पत्रिका पड़ताल में खुद रिपोर्टर ने रामसागरपारा फूल चौंक और बढईपारा स्थित पटाखा दुकानों में फुटकर व्यापारी बन कर चर्चा की तो अहम तथ्य सामने आए।
इन व्यापारियों ने बताया कि वह खुद शहर के अधिकांश कालोनियों में खुद के फुटकर व्यापारियों की दुकानें बिना प्रशासन के अनुमति के खुलवा दी हैं। रिपोर्टर को व्यापारियों ने लालच देते हुए कहा कि 50 फीसदी मुनाफे का व्यापार है। प्रशासन की कोई दिक्कत आती है तो हम उसे निपटाएंगे।
किसी का अब तक रिनिवल नहीं शहर की 175 थोक पटाखा दुकाने बिना लाइसेंस के बेखौफ चल रही हैं। जबकि राजधानी की सभी पटाखा दुकानों को शहर से बाहर करना है। कहने को तो दुकाने शहर के बाहर करने की कवायद बीते 4 वर्षों से चल रही है। जिला प्रशासन द्वारा पटाखा व्यापारियों की दी गई मियाद को बार-बार बढ़ाया जा रहा है। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावाद में पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन ने शहर के करीब 175 स्थायी पटाखा का कारोबार करने वालों को दुकानें शहर के बाहर शिफ्ट करने के लिए नोटिस भेजा था।
शहर के बाहर होगी दुकाने तभी मिलेगा लाइसेंसपहले 24 दिसंबर 2015 तक दुकानें शिफ्ट करने की बात कही गई, लेकिन कारोबारियों ने दबाव बनाया तो शिफ्टिंग की मियाद बढ़ाकर 15 मार्च 2016 कर इसके बाद यह बढ़ा कर 30 नवंबर 2017 कर दी गई थी। फिर शपथ पत्र लेकर एक माह 30 नवंर 2018 तक के लिए लाइसेंस दिया गया था। इसलिए है खतरा- पटाखा दुकानें सटी हुई बस्तियों के आसपास लगाई जाती हैं।
सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं।- अस्थायी दुकानों की आड़ में बिना किसी अनुज्ञप्ति के भी कारोबार। पटाखों का भंडारण, लेकिन सुरक्षा कहीं नहीं।- घनी आबादी वाले हिस्सों में कारोबारियों के पटाखा गोदाम। हादसे होने के बाद दी जाती है सूचना। कई बार हालात गंभीर।- 2 हजार से Óयादा पटाखे दुकानें लगती है शहर में। असल में इसकी पूरी जानकारी नहीं दी जाती।
अप्रिय हालात में स्थिति भयंकर।- दीवाली के करीब आते ही अक्टूबर महीने में लाइसेंस नवनीकरण के लिए आवेदनों की भरमार। मनाही पर भी उठाते हैं जोखिम।रामसागार पारा स्थित दुकानरिपोर्टर: भाईसाब मुझे खमतराई में फुटकर दुकान खोलनी है। व्यापारी: कहां खोलोगे। रिपोर्टर: सन्यासीपारा में मेरा जनरल स्टोर है वहीं खोलना है। व्यापारी: ठीक है माल मिल जाएगा। कितने का चाहिए। रिपोर्टर: 60-70 हजार तक का। अगर बचेगा तो वापस हो जाएगा।
व्यापारी: हां हो जाएगा। खराब नहीं होना चाहिए। रिपोर्टर: पहली बार खोल रहा हूं कितना मुनाफा है। व्यापारी: तुम्हारे ऊपर है निकलने वाले 50 फीसदी निकाल लेते हैं। बढईपारा स्थित दुकान रिपोर्टर: मुझे फुटकर दुकान लगाना है। व्यापारी: कहां लगाओगे, कितने का माल लोगे।रिपोर्टर: मोवा में लगाना है। 2 लाख तक का माल लूंगा। व्यापारी: ठीक है माल मिल जाएगा। रिपोर्टर: सर पहली बार लगा रहा हूं, पुलिस परेशान तो नहीं करेगी। व्यापारी: नहीं, हमारी दुकान का और हमारा नाम बता देना कोई दिक्कत होगी तो। रिपोर्टर: ठीक है माल पहुंचवा देंगे।
व्यापारी: पेमेंट करके लिस्ट दे दों, माल पहुंच जाएगा। फूल चौंक स्थित दुकान रिपोर्टर: मुझे अपने घर में पटाखा दुकान खोलना है। व्यापारी: ठीक है माल मिल जाएगा। रिपोर्टर: बिल तो मिल जाएगा ना।व्यापारी: अरे बिल के चक्कर में मत पड़ो, जीएसटी बिल के मुनाफा कम हो जाएगा।रिपोर्टर: तो प्रशासन पकड़ेगा तो कार्रवाई नहीं करेगा। व्यापारी: अरे हम तो वर्षो से कर रहे हैं कोई दिक्कत नहीं होगी। रिपोर्टर: मेरे पास लाइसेंस भी नहीं है। व्यापारी: अरे तुम्हारे जैस 2000 दुकान वाले मेरे से माल लेते हैं।
वर्जनजिस पर हाइकोर्ट के निर्देश पर कुछ व्यापारियों का सशर्त शपथ पत्र लेकर लाइसेस नवीनीकरण किया गया था। जिसमें शर्त पर सिर्फ एक माह की अनुमति दी गई थी। दिवाली के पहले फुटकर दुकान को सिर्फ किसी ग्राउंड में ही निगम के अनुमोदन के बाद अनुमति दी जाएगी। कहीं भी फुटकर दुकानें नहीं खोल जा सकती हैं। विनीत नंदनवार, एडीएम रायपुर

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