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रायपुर

बोतल से फिर बाहर आया रमन की अकूत संपत्ति के आरोपों का जिन्न, हमलावर पीसीसी ने पत्नी और बेटे को भी लपेटा

प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक रमेश वल्र्यानी, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला और पर मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने रमन सिंह के परिवार को भी आरोपों में लपेटा।

रायपुरAug 12, 2020 / 02:10 pm

Karunakant Chaubey

रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की आय से अधिक संपत्ति से के आरोपों का जिन्न उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। इस बार सत्ताधारी कांग्रेस ने आरोपों पर तगड़ी घेराबंदी की है। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक रमेश वल्र्यानी, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला और पर मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने रमन सिंह के परिवार को भी आरोपों में लपेटा। शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, रमन सिंह ने अपनी आय से कई गुना संपत्ति बनाई। हम रमन सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह और उनके बेटे अभिषेक के संपत्ति की जांच की मांग करते हैं।

कांग्रेस नेताओं ने कहा, वर्ष 2008 में रमन सिंह के पास एक करोड़, चार लाख की संपत्ति थी। उस समय तक रमन सिंह मुख्यमंत्री के रूप में एक कार्यकाल पूरा कर चुके थे। अगले चुनाव तक यानी वर्ष 2013 तक बढ़कर पांच करोड़ 61 लाख हो गई। यह वृद्धि पांच गुने से अधिक थी। वर्ष 2018 में उन्होंने चुनाव आयोग को बताया कि उनकी संपत्ति दो गुना होकर 10 करोड़ 72 लाख हो चुकी है। आरोप लगाया, वर्ष 2012-13 में रमन सिंह ने जो आयकर रिटर्न भरा था उसके अनुसार उनकी आय 14 लाख 60 हज़ार के कऱीब थी।

उनकी पत्नी की आय 12 लाख 52 हजार दर्शाई गई। वर्ष 2013 में रमन सिंह पर 28 लाख से अधिक का कजऱ् था। 2018 के चुनाव में उन्होंने बताया, उन पर कुल देनदारी तीन हज़ार रुपए ही बची थी। कांग्रेस ने पूछा, इतना बड़ा कर्ज कैसे चुकाया गया। उनका कहना था, रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते घोटालों की ढेरों शिकायतें आईं, लेकिन किसी की निष्पक्ष जांच नहीं हुई। यह संपत्तियां घोटालों से संबंधों की ओर इशारा करती है। कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आरोपों की जांच की मांग की है।

रमन बोले-आयकर विभाग कर चुका है जांच

इधर डॉ. रमन सिंह ने कहा, जो पब्लिक डोमेन में है कांग्रेस उसपर आरोप लगा रही है। शपथपत्र का मूल्यांकन आयकर विभाग करता है। चुनावी शपथपत्रों की जांच आयकर विभाग कर चुका है। कहीं कोई विसंगति नहीं है। शपथपत्रों में दिखाया गया है वह संपत्ति नहीं बढ़ी है, संपत्ति की कीमत बढ़ी है। यह केवल राजनीतिक आरोप हैं। अगस्ता और पनामा के मामले में उनके बड़े-बड़े नेता सुप्रीम कोर्ट तक गए। सुप्रीम कोर्ट ने पिटीशन ही निरस्त कर दिया।

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